आस्था, संस्कृति और विशिष्ट समागम का संगम
.png)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु श्री श्री विदुशेखर भारती से भेंट की और आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने नाथ संप्रदाय के अखाड़े, गुरु गोरक्षनाथ अखाड़े का भी दौरा किया। इस दौरान उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की और धार्मिक आयोजनों में भाग लिया।
महाकुंभ के 11वें दिन, बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका साधना सरगम ने गंगा पंडाल में अपनी मनमोहक आवाज से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति ने धार्मिक माहौल में एक नया आयाम जोड़ दिया।
इस पावन अवसर पर, विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, जो इस महाआयोजन को और भी गरिमामय बना रहे हैं।
25 जनवरी, शनिवार को दोपहर 2:30 बजे, विश्व हिंदू परिषद द्वारा कुंभ शिविर, ओल्ड जीटी रोड, झूसी सेक्टर 18 में एक विराट संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देशभर से हजारों संतों ने भाग लिया, जो हिंदू धर्म और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच पर एकत्रित हुए। यह सम्मेलन पूर्व में भी मेले में विश्व हिंदू परिषद के शिविर में आयोजित होता रहा है, जो इसकी निरंतरता और महत्व को दर्शाता है। इस आयोजन में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के बंधुओं को भी सादर आमंत्रित किया गया, ताकि इस महत्वपूर्ण घटना को व्यापक रूप से प्रसारित किया जा सके।
Also Read: प्रयागराज में घूमने के लिए 8 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल : एक आध्यात्मिक अनुभव
इसी दौरान, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी सुरेश रैना भी अपनी पत्नी के साथ महाकुंभ में डुबकी लगाने पहुंचे। उन्होंने संगम के पवित्र जल में स्नान किया और फिर प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के दर्शन किए। रैना ने महाकुंभ के अपने अनुभव को ऊर्जा से भरपूर बताया और कहा कि उन्होंने यहाँ आध्यात्मिकता का गहरा अनुभव किया। उनके शब्दों में, महाकुंभ एक ऐसा स्थान है जहाँ व्यक्ति को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है।
गणतंत्र दिवस पर महाकुंभ: देशभक्ति और सांस्कृतिक रंगों का अनूठा संगम
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025, केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और देशभक्ति का एक अनूठा संगम बन गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नेतृत्व में, 16 जनवरी से शुरू हुआ ‘संस्कृति का महाकुम्भ’ इस भव्य आयोजन का एक अभिन्न अंग है, जो श्रद्धालुओं को एक बहुआयामी अनुभव प्रदान कर रहा है।
इस ‘संस्कृति के महाकुम्भ‘ का 11वां दिन, यानी गणतंत्र दिवस, विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। इस दिन, आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति के साथ-साथ देशभक्ति की भावना का भी अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने न केवल भक्ति और अध्यात्म की गहराई में डुबकी लगाई, बल्कि देशप्रेम की भावना से भी ओतप्रोत हुए। संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों ने इस अवसर को और भी यादगार बना दिया।
26 जनवरी को, चारों पंडालों – गंगा, यमुना, सरस्वती और त्रिवेणी – पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गंगा पंडाल पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम बॉलीवुड की प्रसिद्ध गायिका साधना सरगम का था। उनके सुमधुर गीतों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया और एक संगीतमय माहौल बना दिया। साधना सरगम की आवाज़ ने न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि देशभक्ति और अध्यात्म की भावनाओं को भी स्पर्श किया।
.png)
गणतंत्र दिवस के अवसर पर, महाकुंभ में देशभक्ति से जुड़े विविध कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता को दर्शाया। फरुआही, बिरहा और आल्हा जैसे लोक संगीत रूपों के माध्यम से, उत्तर प्रदेश की ग्रामीण संस्कृति को देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के सामने प्रस्तुत किया गया। इन लोक कलाओं ने दर्शकों को अपनी जड़ों से जोड़ा और उन्हें भारतीय संस्कृति की गहराई का अनुभव कराया।
इसके अलावा, कुचिपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों, वायलिन वादन और शास्त्रीय गायन-वादन की भी प्रस्तुतियां हुईं। इन शास्त्रीय कलाओं ने दर्शकों को कला और संस्कृति की एक अलग ही दुनिया में ले जाया। इन सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य न केवल मनोरंजन करना था, बल्कि भारतीय संस्कृति की विविधता और गहराई को प्रदर्शित करना भी था। संस्कृति विभाग ने गणतंत्र दिवस पर होने वाले इन आयोजनों को अविस्मरणीय बनाने के लिए विशेष तैयारियां की थीं, जो सफल रहीं।
गणतंत्र दिवस समारोह
गंगा पंडाल
साधना सरगम- बॉलीवुड सिंगर
दीपिका रेड्डी (हैदराबाद)- कुचुपुड़ी
श्री कला रामनाथ (महाराष्ट्र)- वायलिन- संगीत अकादमी अवार्डी
त्रिवेणी पंडाल
स्नेहलता मिश्रा (दिल्ली)- शास्त्रीय/उपशास्त्रीय गायन
रविशंकर उपाध्याय (दिल्ली) – शास्त्रीय/उपशास्त्रीय वादन (पखावज वाद्यवृंद)
कांतिका मिश्रा (लखनऊ) शास्त्रीय/उपशास्त्रीय नृत्य (कथक)
आशुतोष पांडेय (कानपुर)- भजन
यमुना पंडाल
आभा-विभा चौरसिया (मध्य प्रदेश)- हिंदुस्तानी वोकल
सुश्री प्रिय वेंकटरामन (दिल्ली)-भरतनाट्यम
संदीप मलिक-कथक
राजन तिवारी (बनारस)- भजन
ओमकार नाथ अवस्थी (उन्नाव)- आल्हा
सुदर्शन यादव (चंदौली)- बिरहा
प्रतिमा यादव (अंबेडकरनगर)- अवधी गायन
रामहित (गोरखपुर)- फरुवाही
रजनीश (पीलीभीत)- थारू जनजाति
सरस्वती पंडाल
अशोक भांतिया (मुंबई)- माधव नाटक का मंच
मनोज यादव (लखनऊ)- भजन
अखिलेश मिश्र (लखनऊ)- भजन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शंकराचार्यों, संत महात्माओं से की भेंट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने 19 जनवरी को संत समाज के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और सम्मान का परिचय दिया। उन्होंने महाकुंभ मेला क्षेत्र का दौरा किया और विभिन्न अखाड़ों के शंकराचार्यों, संत महात्माओं से भेंट कर उनका कुशलक्षेम पूछा। मुख्यमंत्री का यह दौरा न केवल एक शिष्टाचार भेंट थी, बल्कि महाकुंभ के सफल आयोजन में संत समाज के अमूल्य योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी एक माध्यम था।
मुख्यमंत्री ने अपने दौरे की शुरुआत सेक्टर-नौ में स्थित गुरुशरणानंद जी के आश्रम से की, जहाँ उन्होंने गुरुजी से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनसे विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की। इसके बाद, वे आचार्यबाड़ा के अध्यक्ष और मंत्री से मिले और महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर उनके साथ विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने महाकुंभ के सुचारू संचालन में आचार्यबाड़ा की भूमिका की सराहना की और उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
Also Read: तीर्थ यात्रियों को फूड कोर्ट, पार्किंग और अस्पताल ढूंढने में एआई चैटबॉट कर रहे मदद
मुख्यमंत्री का दौरा पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के शिविर तक भी पहुंचा, जहाँ उन्होंने शंकराचार्य जी का महाकुंभ में आगमन के लिए हार्दिक आभार प्रकट किया। उन्होंने शंकराचार्य जी के आशीर्वाद और मार्गदर्शन को महाकुंभ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। मुख्यमंत्री ने शारदा द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती के शिविर में भी जाकर उनसे भेंट की और उनका आशीर्वाद लिया। इन भेंटों के दौरान, मुख्यमंत्री ने संत समाज के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की जानकारी दी और उनकी राय भी जानी।
योगी आदित्यनाथ का यह दौरा संत समाज के प्रति उनके गहरे सम्मान और महाकुंभ के सफल आयोजन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने न केवल संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया, बल्कि उनके सुझावों को भी ध्यान से सुना और महाकुंभ को और अधिक सफल बनाने के लिए उनके साथ सहयोग करने का आश्वासन दिया। यह दौरा सरकार और संत समाज के बीच एक मजबूत संबंध और सहयोग का प्रतीक है, जो महाकुंभ जैसे विशाल और महत्वपूर्ण आयोजनों की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह दौरा इस बात का भी प्रतीक है कि उत्तर प्रदेश सरकार भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं के संरक्षण के लिए कितनी समर्पित है।
Also Read: संगम तक जाने के लिए करनी होगी 10-15 किलोमीटर की पैदल यात्रा