कामिका एकादशी व्रत कथा | पवित्रता और पुण्य का पर्व

कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत पापों से मुक्ति, मोक्ष और विष्णु कृपा पाने का श्रेष्ठ साधन माना गया है।

व्रत का शुभ फल

शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा से कामिका एकादशी का व्रत करता है, उसे तीर्थ स्नान, यज्ञ, दान और व्रत जैसे अनेक पुण्यों की प्राप्ति होती है।

व्रत विधि

– व्रती को दशमी रात्रि से उपवास प्रारंभ करना चाहिए। – एकादशी को श्रीहरि विष्णु की पूजा करें। – तुलसी दल अर्पित करें और भगवान का भजन करें। – द्वादशी को व्रत का पारण करें।

कामिका एकादशी व्रत कथा

एक समय एक क्रोधित ब्राह्मण ने दूसरे ब्राह्मण की हत्या कर दी। पश्चाताप में उसने एक ऋषि से प्रायश्चित पूछा। ऋषि ने कहा — "कामिका एकादशी का व्रत करो, इससे तुम पापमुक्त हो जाओगे।"

व्रत का प्रभाव

व्रत करने पर ब्राह्मण के सभी पाप नष्ट हो गए और उसे विष्णुलोक की प्राप्ति हुई। इस कथा से स्पष्ट होता है कि कामिका एकादशी व्रत बहुत ही पुण्यदायक और मोक्षप्रद है।

कामिका एकादशी पर क्या करें?

– ब्रह्मचर्य का पालन करें – क्रोध, तामसिक भोजन और बुरे विचारों से दूर रहें – विष्णु सहस्रनाम या गीता का पाठ करें

कामिका एकादशी व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आत्मा को ईश्वर से जोड़कर मोक्ष मार्ग प्रशस्त करता है। श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया यह व्रत जीवन में शांति और शुभता लाता है।