माँ दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी माता है। हाथ में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं। यह तपस्या और संयम की देवी मानी जाती हैं।
ब्रह्मचारिणी देवी ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। उनकी साधना से साधकों में तप, त्याग और संयम की शक्ति उत्पन्न होती है।
– सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें – माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें – रोली, अक्षत, पुष्प और चंदन अर्पित करें – शुद्ध घी का दीपक जलाएँ और मंत्र जाप करें
"ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" इस मंत्र का जप करने से तप, त्याग और धैर्य की प्राप्ति होती है।
साधक उन्हें सफेद रंग के फूल और शक्कर का भोग अर्पित करते हैं। यह भक्ति और प्रेम को बढ़ाता है।
– तप और संयम की शक्ति प्रदान करती हैं – साधक के जीवन में धैर्य और शांति लाती हैं – मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं
नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा करने से साधक के जीवन से सभी प्रकार के भय और पाप दूर होते हैं तथा ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है।