नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा होती है। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र है और उनके गले में बड़ी घंटी (घंटा) की ध्वनि से दुष्ट शक्तियाँ कांप उठती हैं।
माँ सिंह पर सवार होती हैं। उनके दस हाथ हैं जिनमें शस्त्र और कमल सुशोभित रहते हैं।
माँ की आराधना करने से साधक को साहस, धैर्य और शांति की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को भयमुक्त करता है।
– सबसे पहले कलश स्थापना करें। – फिर माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र पर पुष्प अर्पित करें। – धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएँ। – “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का जप करें।
“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” इस मंत्र का जप करने से जीवन में आत्मविश्वास और शांति आती है।
भक्त यदि सच्चे मन से माँ की पूजा करें तो उनके जीवन से दुख, भय और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
तीसरे दिन की पूजा साधक को दिव्य तेज और अदम्य साहस प्रदान करती है।
माँ चंद्रघंटा की कृपा से घर में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि बनी रहती है।