नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। इन्हें अंधकार का नाश करने वाली और भक्तों को निर्भय बनाने वाली देवी माना गया है।
माँ का रंग काले रात जैसा गहरा है, उनके बिखरे केश और तीन तेजस्वी नेत्र हैं। उनके गले में विद्युत के समान चमकती माला सुशोभित रहती है।
माँ कालरात्रि गधे (गर्दभ) पर विराजमान हैं। उनके दाहिने हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं जबकि बाएँ हाथों में खड्ग और लौहवज्र है।
– माँ कालरात्रि की उपासना से सभी तरह के भय दूर होते हैं। – शत्रु और नकारात्मक शक्तियाँ नष्ट हो जाती हैं। – साधक को साहस, बल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
– प्रातः स्नान कर लाल या नीले फूल चढ़ाएँ। – गुड़ का भोग अर्पित करें। – "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मंत्र का जाप करें।
माँ कालरात्रि इस बात की प्रतीक हैं कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, अंततः प्रकाश और सत्य की विजय होती है।
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा कर साधक भय, रोग, शत्रु और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाकर जीवन में दिव्य शक्ति प्राप्त करता है।