जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: श्रीकृष्ण के महायात्रा पर्व की भव्य शुरुआत 

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 कब है?

तिथि: 27 जून, 2025  🌟 स्थान: पुरी, ओडिशा 🙏 यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों से गुंडिचा मंदिर तक होती है।

रथ यात्रा का अर्थ क्या है?

जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान श्रीकृष्ण (जगन्नाथ), बलराम (बलभद्र) और बहन सुभद्रा की यात्रा है। यह एक धार्मिक यात्रा है जिसमें तीनों देवता अपने रथों पर बैठकर भक्तों के बीच आते हैं।

क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा?

🔹 यह यात्रा श्रीकृष्ण के मथुरा से वृंदावन लौटने की स्मृति है। 🔹 रथ यात्रा दर्शाती है कि भगवान स्वयं भक्तों के बीच आते हैं। 🔹 इसे 'चलंत विग्रह' भी कहा जाता है – भगवान की गतिशील मूर्ति।

रथों के नाम और विशेषता

1️⃣ नन्दीघोष – भगवान जगन्नाथ का रथ (16 चक्के, लाल-पीला रंग) 2️⃣ तालध्वज – बलभद्र जी का रथ (14 चक्के, लाल-नीला रंग) 3️⃣ दर्पदलन – सुभद्रा जी का रथ (12 चक्के, लाल-काला रंग)

पुरी रथ यात्रा की खास बातें

✔ दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा ✔ लाखों श्रद्धालु खींचते हैं रथ की रस्सियाँ ✔ रथ खींचना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है

क्या है गुंडिचा यात्रा?

🔹 भगवान अपने मौसी के घर – गुंडिचा मंदिर जाते हैं 🔹 वहां 7 दिन ठहरते हैं 🔹 फिर बहुड़ा यात्रा (वापसी) होती है

रथ यात्रा का आध्यात्मिक संदेश

➡ जीवन में अहंकार नहीं, सेवा का भाव रखें ➡ भगवान जब भक्तों के बीच आते हैं, वो सभी के कष्ट हर लेते हैं ➡ रथ यात्रा आत्मसमर्पण, भक्ति और समानता का प्रतीक है

भारत ही नहीं, विदेशों में भी उत्सव

अमेरिका, यूके, रूस, जापान जैसे देशों में भी ISKCON संस्था द्वारा रथ यात्राएं निकाली जाती हैं। “जहाँ भक्ति है, वहाँ रथ यात्रा है।”

स्कंद पुराण से उद्धरण

“जो भक्त श्रद्धा से रथ यात्रा में भाग लेते हैं, उन्हें करोड़ों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।”

रथ यात्रा 2025 की शुभकामनाएं

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी आपके जीवन रथ को सुख, शांति और समृद्धि से भर दें। जय जगन्नाथ!