भगवद गीता को पढ़ने से पहले इन श्लोको को पढ़ कर श्री हरि का ध्यान करें 👉

भगवद गीता का महत्व कल्याण की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को चाहिए कि वे मोह का त्याग कर श्रद्धा और भक्ति के साथ श्रीगीता का अध्ययन करें।

बच्चों को सिखाएं गीता का ज्ञान अपने बच्चों को भी श्रीगीता का अर्थ और भाव के साथ अध्ययन कराएं, ताकि वे धर्म और अध्यात्म के सही मार्ग पर चल सकें।

स्वयं भी करें गीता का पठन भगवान की आज्ञा के अनुसार जीवन में साधना करने के लिए, स्वयं भी गीता का अध्ययन करें और इसके गूढ़ रहस्यों को आत्मसात करें।

समय का सदुपयोग करें मनुष्य जीवन अत्यंत दुर्लभ है, इसे क्षणभंगुर भोगों में नष्ट करने के बजाय भगवद्भक्ति और आत्मिक शांति प्राप्त करने में लगाना चाहिए।

गीता पाठ से पहले ध्यान करें श्रीहरि का गीता पाठ शुरू करने से पहले इन श्लोक का भावार्थ सहित पाठ करें और भगवान श्रीहरि विष्णु का ध्यान करे

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

अर्थात भगवान श्रीविष्णु, जो शेषनाग की शैया पर शयन करते हैं, जिनकी आकृति परम शांत और दिव्य है, संपूर्ण जगत के आधार हैं। उनकी नाभि में कमल विराजमान है, वे देवताओं के भी ईश्वर हैं और संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं। उनका वर्ण नीलमेघ के समान है, तथा उनके अंग परम सुंदर और आकर्षक हैं।

योगी जिनका ध्यान करके परम शांति को प्राप्त करते हैं, वे समस्त लोकों के स्वामी और जन्म-मरण के भय को समाप्त करने वाले हैं। ऐसे कमलनेत्र भगवान श्रीविष्णु, जो माँ लक्ष्मी के प्रियतम हैं, को हम कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं। उनका स्मरण जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। श्री हरि विष्णु की कृपा से भक्तों को मोक्ष और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै- र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:। ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो- यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।

अर्थात भगवान नारायण, जिनकी स्तुति स्वयं ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्‍गण दिव्य स्तोत्रों के माध्यम से करते हैं, जिनका गान वेदों द्वारा किया जाता है। सामवेद के गायक जिनकी महिमा का गुणगान करते हैं, वेदों के अंग, पद, क्रम और उपनिषद भी जिनकी महत्ता का बखान करते हैं।

योगीजन गहन ध्यान में लीन होकर जिनका साक्षात्कार करते हैं, और देवता एवं असुरगण जिनके अंत को जानने में असमर्थ रहते हैं, ऐसे परमपुरुष भगवान नारायण को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।

श्रीगीता का अध्ययन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है, आत्मिक शांति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

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