अजा एकादशी व्रत कथा

अजा एकादशी व्रत का महत्व

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है।  यह व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है।

अजा एकादशी की पूजा विधि

🪔 प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें। 🌿 भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र के सामने दीप जलाएँ। 🍎 फल, फूल और तुलसीदल अर्पित करें। 📖 विष्णु सहस्रनाम, गीता या भगवान के भजन का पाठ करें।

अजा एकादशी  व्रत कथा

👑 सत्ययुग में हरिश्चंद्र नामक राजा थे, जो सत्य के पालन में अटल थे। 😔 लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी पत्नी और पुत्र तक बेचने पड़े। 💰 जीवन अत्यंत दुखमय हो गया।

ऋषि की कृपा

🌸 ऋषि गौतम ने राजा हरिश्चंद्र को अजा एकादशी व्रत का महत्व बताया। 🙏 राजा ने श्रद्धा से यह व्रत किया।

दिव्य फल

✨ व्रत के प्रभाव से राजा हरिश्चंद्र के सभी दुख मिट गए। 👑 उन्हें अपना खोया हुआ राज्य, पत्नी और पुत्र पुनः प्राप्त हुए। 🌿 वे स्वर्गलोक को भी प्राप्त हुए।

अजा एकादशी का फल

✅ इस व्रत से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ✅ हर प्रकार का दुख, कष्ट और बंधन समाप्त होता है। ✅ अंत में आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अजा एकादशी व्रत का संदेश

🌸 इस व्रत का संदेश है — ➡️ सत्य का पालन करो। ➡️ श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु की पूजा करो। ➡️ जीवन में हर कठिनाई का अंत संभव है।

अजा एकादशी का व्रत सुख, शांति और मोक्ष देने वाला है। इस पावन दिन उपवास, पूजा और कथा श्रवण अवश्य करें।