अनंत चतुर्दशी 2025: व्रत कथा और महत्व

अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके अनंत सूत्र धारण किया जाता है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व

इस व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।  भक्तजन विष्णु भगवान की कृपा से सभी दुखों से मुक्त होते हैं।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा

एक समय की बात है, युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से अपने दुखों का कारण पूछा। श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने की सलाह दी।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा

युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण की आज्ञा से व्रत किया और अनंत सूत्र बांधा। इसके फलस्वरूप उन्हें अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिली और पुनः राज्य प्राप्त हुआ।

अनंत सूत्र का महत्व

इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र जप कर, 14 गांठों वाला धागा (अनंत सूत्र) बांधा जाता है।  यह सूत्र दीर्घायु, धन और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।

व्रत करने की विधि

प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की पूजा करें।  14 फलों और 14 पत्तों का भोग लगाएँ।  अनंत सूत्र को पूजा कर दाहिने हाथ में बांधें।

यह पर्व भक्तों को विश्वास, धैर्य और भगवान विष्णु की शरण में जाने की प्रेरणा देता है।