Ekadashi Vrat Katha - कामदा एकादशी व्रत कथा
पुण्य का दरवाज़ा खोलने वाली एकादशी!
कामदा एकादशी का महत्व
यह चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी है।
पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इसका व्रत किया जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है।
कामदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन समय में रत्नपुर नामक एक नगर था।
वहाँ पुण्डरीक नाम का राजा शासन करता था।
कामदा एकादशी व्रत कथा
नगर में ललित नाम का गंधर्व और ललिता नाम की गंधर्वी रहते थे।
वे एक-दूसरे से अत्यंत प्रेम करते थे।
कामदा एकादशी व्रत कथा
एक दिन ललित राजसभा में गा रहा था, लेकिन उसका ध्यान ललिता में था।
राजा ने इसे अपमान समझा और ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया।
कामदा एकादशी व्रत कथा
ललिता ने पति को श्राप से मुक्त करने के लिए कठिन तप किया।
वह ऋषि श्रृंगी के पास पहुँची और उपाय पूछा।
कामदा एकादशी व्रत कथा
ऋषि ने कामदा एकादशी व्रत का पालन करने को कहा।
ललिता ने श्रद्धा से व्रत किया और भगवान विष्णु से प्रार्थना की।
कामदा एकादशी व्रत कथा
व्रत के प्रभाव से ललित को राक्षस योनि से मुक्ति मिल गई।
दोनों गंधर्व रूप में फिर से मिल गए।
व्रत का फल
कामदा एकादशी व्रत से
➡️ समस्त पापों का नाश होता है।
➡️ पति-पत्नी के प्रेम में मजबूती आती है।
➡️ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे करें व्रत:
– एक दिन पूर्व व्रत का संकल्प लें।
– एकादशी पर व्रत रखें और श्रीविष्णु की पूजा करें।
– द्वादशी पर ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें।
आप भी करें यह व्रत और पाएं पुण्य तथा शांति।
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