– यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन और अविवाहित महिलाएँ करती हैं। – माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन कर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। – मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने तपस्या कर शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था।
1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें। 2. मिट्टी या बालू से शिव-पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा बनाएं। 3. बेलपत्र, फल-फूल, अक्षत, और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। 4. हरतालिका कथा का श्रवण करें। 5. रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें। 6. अगले दिन पूजा कर पारण करें।
– इस दिन निर्जला व्रत करने का विधान है। – महिलाएँ श्रृंगार करती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं। – कई स्थानों पर मेहंदी, झूला और तीज मेलों का आयोजन होता है।
– जो महिलाएँ यह व्रत करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है। – अविवाहित कन्याएँ उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं।
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