‘कूष्मांडा’ शब्द का अर्थ है – कू = छोटा, उष्मा = उर्जा, अंड = ब्रह्मांड। अर्थात् छोटी सी उर्जा से ब्रह्मांड की रचना करने वाली शक्ति।
माँ कूष्मांडा की आठ भुजाएँ हैं। वे कमल, धनुष-बाण, कमंडल, चक्र, गदा, अमृतकलश, जपमाला और अभयमुद्रा धारण करती हैं।
– प्रातः स्नान कर माँ का स्मरण करें। – अक्षत, धूप, दीप, लाल पुष्प अर्पित करें। – “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः” मंत्र जपें।
– भक्तों के जीवन से रोग, शोक और अज्ञान दूर होता है। – दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। – साधना से सूर्य मंडल की ऊर्जा प्राप्त होती है।
मान्यता है कि ब्रह्मांड का आरंभ माँ कूष्मांडा की हँसी से हुआ। उनकी दिव्य शक्ति से ही देवताओं और संसार का निर्माण संभव हुआ।
माँ कूष्मांडा की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।