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तारीख: 14 जुलाई
– प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। – गणेश जी की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। – उन्हें रोली, अक्षत, दूर्वा, लाल पुष्प, मोदक और पंचमेवा अर्पित करें। – व्रत कथा पढ़ें और चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। – चंद्रमा को कच्चा दूध, मिश्री और जल से अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें।
एक समय की बात है, एक स्त्री ने चतुर्थी का व्रत किया लेकिन पूर्ण विधि से पूजा नहीं की। इससे गणेश जी रुष्ट हो गए और उसके पुत्र को कष्ट होने लगा। जब उसने विधिपूर्वक व्रत कर पूजा की, तो पुत्र को जीवनदान मिला। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि चतुर्थी व्रत श्रद्धा और नियम से करने पर हर कष्ट मिटता है।
– तामसिक भोजन न करें। – क्रोध, झूठ और वाणी का अपवित्र उपयोग न करें। – चंद्र दर्शन बिना अर्घ्य के न करें।
– मानसिक शांति और परिवार में सुख-शांति आती है। – संतान सुख में आने वाले बाधाएं दूर होती हैं। – ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।