अर्थात वर्णसंकर कुलघातियों को और कुल को नर्क में ले जाने वाले ही होते हैं। श्राद्ध और तर्पण न मिलने से यह कुलघातियों के पितरों भी अपने स्थान से गिर जाते हैं।
अर्थात अर्जुन कहते है,यह बड़े आश्चर्य और खेद की बात है कि हमने घोर पाप करने का निश्चय कर लिया है, कि राज्य और सुख के लोभ में हम अपने ही सगे-संबंधियों की हत्या करने पर उतारू हो गये हैं!
अर्थात अर्जुन कहते हैं, अगर यह हाथों में अस्त्र-शस्त्र लिए हुए धृतराष्ट्र के पक्ष में जो है, वे लोग युद्ध भूमि में सामना नहीं करने वाले तथा शस्त्र रहित ऐसे मुझे मार भी डालें तो, वह मेरे लिए अत्यंत ही लाभदायक होगा.
अर्थात संजय बोले, ऐसा कह कर शौक से व्याकुल मन वाले अर्जुन तीर सहित धनुष्य का त्याग करके युद्ध भूमि में रथ के मध्य भाग में बैठ गए।