Bhagavad Gita Lines in Hindi
कर्म का महत्व
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
तुम्हें केवल कर्म करने का अधिकार है, लेकिन फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है।(भगवद गीता 2.47)
मन को नियंत्रित करें
उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
मनुष्य को स्वयं अपने प्रयासों से ऊपर उठना चाहिए, स्वयं को नीचे गिरने नहीं देना चाहिए। (भगवद गीता 6.5)
भय को त्यागें
विघ्नेषु न हि दृढं यः स वीरः पुरुषः स्मृतः।
जो व्यक्ति कठिनाइयों में भी अडिग रहता है, वही सच्चा वीर कहलाता है। (भगवद गीता 2.56)
समता की भावना
सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
सुख-दुःख, लाभ-हानि और जीत-हार को समान समझकर कर्म करो।(भगवद गीता 2.38)
भक्ति का मार्ग
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।
मुझे मन में धारण करो, मेरे भक्त बनो, मेरी पूजा करो और मुझे प्रणाम करो। (भगवद गीता 18.65)
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