निर्जला एकादशी 2025 – व्रत, महत्व और चमत्कारी लाभ
निर्जला एकादशी कब है?
तिथि:
06 जून 2025
यह व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को आता है।
इस व्रत को 'भीम एकादशी' क्यों कहते हैं?
भीमसेन केवल निर्जला व्रत ही कर पाते थे।
इसलिए इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है।
व्रत की विशेषता क्या है?
इस दिन
जल भी नहीं पिया जाता
, इसलिए इसका नाम "निर्जला" पड़ा। यह वर्ष की सबसे कठिन लेकिन फलदायक एकादशी मानी जाती है।
निर्जला एकादशी के
लाभ
:
1. समस्त एकादशियों का फल
2. पापों से मुक्ति
3. मोक्ष की प्राप्ति
4. मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा
पूजा विधि
– प्रातः स्नान और संकल्प
– विष्णु जी की पूजा
– तुलसी दल अर्पण
– कथा और आरती
– अगले दिन पारण
क्या निर्जला व्रत आवश्यक है?
अगर आप बाकी एकादशी व्रत नहीं कर पाते, तो केवल इस व्रत से साल भर का पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।
आध्यात्मिक संदेश:
जैसे शरीर को जल से जीवन मिलता है, वैसे ही आत्मा को व्रत से शुद्धि मिलती है।
इस निर्जला एकादशी पर आत्म-शुद्धि और सेवा का संकल्प लें।
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