पुत्रदा एकादशी, भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है जो संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह वर्ष में दो बार – पौष और श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है।
इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। दंपत्ति जो संतान की कामना करते हैं, उन्हें इस व्रत का विशेष फल मिलता है।
महर्षि लोमेश की कथा एक समय की बात है, महर्षि लोमेश ने राजा सुकेतु और रानी शैव्या को पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। वे संतानहीन थे और अत्यंत दुखी रहते थे।
राजा और रानी की तपस्या सच्ची श्रद्धा से रखा व्रत राजा-रानी ने एकादशी का व्रत रखा, भगवान विष्णु की पूजा की, और अगले दिन द्वादशी को व्रत पूर्ण कर अन्नदान किया।
भगवान विष्णु का आशीर्वाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें एक तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया, जो आगे चलकर एक महान राजा बना।
– संतान सुख की प्राप्ति – घर में सुख-शांति – पूर्वजों को मोक्ष – पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
भगवान विष्णु की कृपा से संतान सुख पुत्रदा एकादशी व्रत श्रद्धा और विश्वास से किया जाए तो निःसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।