वरूथिनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
यह व्रत भगवान विष्णु के वामन रूप की उपासना के लिए प्रसिद्ध है।
व्रत का महत्व
वरूथिनी एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है।जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत की तैयारी
व्रत के एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें।ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा सामग्री
- तुलसी दल - पंचामृत -दीपक और धूप -पीले पुष्प -भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र
पूजा विधि
1️⃣ व्रती संकल्प लें – 'मैं वरूथिनी एकादशी का व्रत कर रहा/रही हूं'।
2️⃣ भगवान विष्णु को स्नान कराएं (अभिषेक करें)।
3️⃣ धूप-दीप जलाएं और फूल चढ़ाएं।
4️⃣ विष्णु सहस्त्रनाम या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
व्रत नियम
🚫 अन्न, तामसिक भोजन और झूठ बोलने से बचें।
📖 दिनभर भजन, कीर्तन, सत्संग में समय बिताएं।
🌙 रात्रि को जागरण करें या विष्णु नाम का स्मरण करते हुए सो जाएं।
पारण विधि
🌅 द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें।🍚 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।🙏 स्वयं फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।
वरूथिनी एकादशी व्रत से जीवन में पुण्य, शांति और प्रभु कृपा की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।