Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 34 to 40 Meaning in hindi

आचार्या: पितर: पुत्रास्तथैव च पितामहा: | मातुला: श्वशुरा: पौत्रा: श्याला: सम्बन्धिनस्तथा || 34 || एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन | अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतो: किं नु महीकृते || 35 ||

अर्थात अर्जुन कहते है, आचार्य, पिता, पुत्र, दादा, मामा,  ससुर, पौत्र, साला तथा अन्य कोई भी सम्बन्धी मुझ पर आक्रमण करें, तो भी  मैं उन्हें मारना नहीं चाहता, तथा हे मधुसूदन! यदि मुझे तीनों लोकों का  राज्य भी मिल जाए तो भी मैं उन्हें मारना नहीं चाहता, तो फिर पृथ्वी के लिए  मैं उन्हें क्यों मारूं?