अर्थात अर्जुन कहते है, आचार्य, पिता, पुत्र, दादा, मामा, ससुर, पौत्र, साला तथा अन्य कोई भी सम्बन्धी मुझ पर आक्रमण करें, तो भी मैं उन्हें मारना नहीं चाहता, तथा हे मधुसूदन! यदि मुझे तीनों लोकों का राज्य भी मिल जाए तो भी मैं उन्हें मारना नहीं चाहता, तो फिर पृथ्वी के लिए मैं उन्हें क्यों मारूं?