सञ्जय उवाच | तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् | विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदन: || 1 ||
अर्थात संजय बोले – उस कायरता से घिरे हुए, पश्चाताप करने वाले तथा आँसुओं से अन्धकारमय हो रहे नेत्रों वाले अर्जुन से भगवान मधुसूदन ने ये वचन (आगे कहे जाने वाले) कहे।