Bhagavad Gita Slokas

Gita
Table of Contents
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अर्जुन विषाद योग : युद्ध के परिणाम पर शोक प्रकट करना
अध्याय 2
सांख्य योग : विश्लेषणात्मक ज्ञान का योग
अध्याय 3
कर्मयोग : कर्म का विज्ञान
अध्याय 4
ज्ञान कर्म संन्यास योग : ज्ञान का योग और कर्म करने का विज्ञान
अध्याय 5
कर्म संन्यास योग : संन्यास का योग
अध्याय 6
ध्यानयोग : ध्यान का योग
अध्याय 7
ज्ञान विज्ञान योग : दिव्य ज्ञान की अनुभूति द्वारा प्राप्त योग
अध्याय 8
अक्षर ब्रह्म योग : अविनाशी भगवान का योग
अध्याय 9
राज विद्या योग : राज विद्या द्वारा योग
अध्याय 10
विभूति योग : भगवान के अनन्त वैभवों की स्तुति द्वारा प्राप्त योग
अध्याय 11
विश्वरूप दर्शन योग : भगवान के विराट रूप के दर्शन का योग
अध्याय 12
भक्तियोग : भक्ति का विज्ञान
अध्याय 13
क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग : योग द्वारा क्षेत्र और क्षेत्र के ज्ञाता के विभेद को जानना
अध्याय 14
गुण त्रय विभाग योग : प्राकृतिक शक्ति के तीन गुणों द्वारा योग का ज्ञान
अध्याय 15
पुरुषोत्तम योग : सर्वोच्च दिव्य स्वरूप योग
अध्याय 16
देवासुर संपद विभाग योग : दैवीय और आसुरी प्रकृति में भेद द्वारा योग का ज्ञान
अध्याय 17
श्रद्धा त्रय विभाग योग : श्रद्धा के तीन विभागों को समझते हुए योग का अनुसरण करना
अध्याय 18
मोक्ष संन्यास योग : संन्यास में पूर्णता और शरणागति के माध्यम से योग

भगवद गीता, महाभारत का एक दिव्य संवाद है, जिसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आध्यात्मिकता के गहरे रहस्य बताए। यह 18 अध्याय और 700 श्लोकों की एक timeless wisdom है, जो हर इंसान के जीवन को बदल सकती है। आज के stress भरे जीवन में, गीता हमें शांति और सही निर्णय लेने की शक्ति देती है।

Why Bhagavad Gita is Important? (भगवद गीता का महत्व)

भगवद गीता सिर्फ एक धार्मिक किताब नहीं है, बल्कि एक practical guide है जो हमें stress, confusion और life challenges से deal करने का तरीका सिखाती है। इसमें कर्म, धर्म और आत्म-साक्षात्कार के गहरे सबक हैं। गीता हमें बताती है कि कैसे हम अपने कर्तव्य को निभाते हुए भी मन की शांति पा सकते हैं।

Overview of Bhagavad Gita (गीता का सारांश)

भगवद गीता के 18 अध्यायों में जीवन के हर पहलू को समझाया गया है। यहाँ हर अध्याय का एक संक्षिप्त सारांश दिया गया है:

अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग

अर्जुन अपने कर्तव्य और भावनाओं के बीच Confuse होते हैं और कृष्ण से Guidance मांगते हैं।

अध्याय 2: सांख्य योग

कृष्ण अर्जुन को ज्ञान (Knowledge) और कर्म (Action) का मूल सिद्धांत समझाते हैं।

अध्याय 3: कर्म योग

निष्काम कर्म (Selfless action) और कर्तव्य का महत्व बताया गया है।

गीता के मुख्य सिद्धांत

भगवद गीता के मुख्य सिद्धांत हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख सिद्धांत दिए गए हैं:

कर्म योग: निष्काम कर्म (Selfless Action) का सिद्धांत।

भक्ति योग: भक्ति और Devotion का महत्व।

ज्ञान योग: आत्म-ज्ञान और Wisdom की भूमिका।

धर्म: अपने कर्तव्य को समझना और उसे निभाना।

मोक्ष: मुक्ति और आत्म-साक्षात्कार का लक्ष्य।

Famous Shlokas and Their Meaning (प्रसिद्ध श्लोक और उनका अर्थ)

भगवद गीता के कुछ प्रसिद्ध श्लोक और उनका अर्थ यहाँ दिया गया है:

श्लोक 2.47:

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”

अर्थ: तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, फल की चिंता मत करो।

श्लोक 6.5:

“बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः”

अर्थ: अपने आप को जीतना ही सबसे बड़ी जीत है।

How to Read Bhagavad Gita? (गीता कैसे पढ़ें?)

भगवद गीता को समझने और उससे लाभ उठाने के लिए यहाँ कुछ tips दिए गए हैं:

रोज सुबह 10 मिनट निकालें और एक श्लोक पढ़ें।

अपने doubts को notes करें और उन्हें हमारे Write for us forum पर discuss करें।

गीता के teachings को daily life में apply करने की कोशिश करें।

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