Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka
1 To 9 Meaning in hindi
Bhagavad Gita Shloka 1
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः
पाण्डवाश्चैव
किमकुर्वत संजय ।।१।।
अर्थात धृतराष्ट्र बोले,
है संजय! धर्म भूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे और पांडव के पुत्रों ने क्या किया?
Bhagavad Gita Shloka 2
सञ्जय उवाच ।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ।। 2।।
अर्थात संजय ने कहा उस समय वज्र व्यूह से खड़ी हुई पांडवसेना को देखकर राजा दुर्योधन द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन बोलते हैं।
Bhagavad Gita Shloka 2
सञ्जय उवाच ।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ।। 2।।
अर्थात संजय ने कहा उस समय वज्र व्यूह से खड़ी हुई पांडवसेना को देखकर राजा दुर्योधन द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन बोलते हैं।
Bhagavad Gita Shloka 3
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् ।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ।। 3।।
अर्थात दुर्योधन गुरु द्रोणाचार्य को कहते हैं, है आचार्य! आपके बुद्धिमान शिष्य ध्रुपद पुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा व्यूह रचना से खडी की गई, पांडवों की यह बहुत बडी सेना को तो देखो।
Bhagavad Gita Shloka 4 5 6
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथ: || 4 ||
धृष्टकेतुश्चेकितान: काशिराजश्च वीर्यवान् |
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गव: || 5 ||
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् |
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथा: || 6 ||
Bhagavad Gita Shloka 4 5 6
अर्थात यहां पांडवों की सेना में बड़े-बड़े शूरवीर हैं, जिनके बड़े-बड़े धनुष्य हैं, तथा जो युद्ध में भीम और अर्जुन के समान है उनमें युयुधान(सात्यकि), राजा विराट और महारथी द्रुपद भी है। धृष्टकेतु और चेकितान तथा पराक्रमिक काशिराज भी है। पुरुजित और कुंती भोज वे दोनों भाई तथा मनुष्यों में श्रेष्ठ शैव्य भी है, पराक्रमी युधामन्यु और पराक्रमी उत्तमौजा भी है, सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पांचो पुत्रों भी हैं, सब के सब महारथी हैं।
Bhagavad Gita Shloka 7
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम |
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते || 7||
अर्थात दुर्योधन द्रोणाचार्य से कहते हैं, हैं द्विजोतम! हमारे पक्ष में भी जो मुख्य है, उनके ऊपर भी आप ध्यान दीजिए! आपको याद दिलाने के लिए मेरी सेना के जो नायक है, उनको मैं कहता हूं।
Bhagavad Gita Shloka 8
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जय: |
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च || 8 ||
अर्थात दुर्योधन द्रोणाचार्य से कहता है, आप (द्रोणाचार्य) और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्रामविजयी कृपाचार्य तथा ऐसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत के पुत्र भूरिश्रवा भी हमारी सेना में है।
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