Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 23

गीता के अनुसार सच्चा कर्मयोगी कौन कहलाता है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 23 गतसङ्गस्य मुक्तस्य ज्ञानावस्थितचेतसः ।यज्ञायाचरतः कर्म समग्रं प्रविलीयते ॥२३॥ अर्थात भगवान कहते हैं, जिसकी आसक्ति […]

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 22

क्या सफलता-असफलता में समभाव रखने से जीवन के तनाव से मुक्ति मिल सकती है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 22 यदृच्छालाभसंतुष्टो द्वन्द्वातीतो विमत्सरः । समः सिद्धावसिद्धौ च कृत्वापि न निबध्यते ॥२२॥ अर्थात भगवान कहते

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 21

क्या निष्काम कर्मयोगी पाप से मुक्त रहता है? गीता का रहस्य

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 21 निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः ।शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम् ॥२१॥ अर्थात भगवान कहते हैं, जिस निष्काम

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 20

क्या आत्मा का वास्तव में कर्म और फल से कोई संबंध है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 20 त्यक्त्वा कर्मफलासङ्ग नित्यतृप्तो निराश्रयः ।कर्मण्यभिप्रवृत्तोऽपि नैव किंचित्करोति सः ॥२०॥ अर्थात भगवान कहते हैं, जो

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 19

गीता के अनुसार सच्चा विद्वान किसे कहा गया है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 19 यस्य सर्वे समारम्भाः कामसंकल्पवर्जिताः । ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पण्डितं बुधाः ॥१९॥ अर्थात भगवान कहते हैं,

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Bhagava Gita Chapter 4 Verse 18

कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखने का रहस्य क्या है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 18 कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः । स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥१८॥ अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 17

कर्म अकर्म और विकर्म का असली अर्थ क्या है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 17 कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥१७॥ अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 16

कर्म और अकर्म में अंतर क्या है? गीता का रहस्य

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 16 किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः । तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥१६॥ अर्थात भगवान

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Krishna Janmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त, कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी?

Krishna Janmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त, कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक पवित्र और आनंदमय पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 15

क्या मोक्ष प्राप्त होने पर भी कर्तव्य-कर्म करना आवश्यक है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 15 एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः । कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम् ।।१५।।

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 13 14

क्या भगवान सृष्टि के कर्ता होते हुए भी अकर्ता हैं?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 13 14 चातुर्वर्ण्य मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः । तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम् ॥१३॥न मां कर्माणि लिम्पन्ति

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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 12

क्या देवताओं की पूजा से मिलने वाला कर्मफल स्थायी होता है?

Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 12 काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः । क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ॥१२॥

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