Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 64 65

क्या राग-द्वेष से मुक्ति ही सच्चा सुख है?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 64 65 रागद्वेषवियुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्चरन् |आत्मवश्यैर्विधेयात्मा प्रसादमधिगच्छति || 64 ||प्रसादे सर्वदु:खानां हानिरस्योपजायते |प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धि: पर्यवतिष्ठते […]

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