क्या हम सच में अपने कर्मों के कर्ता हैं?
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 27 प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: |अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || 27 || अर्थात भगवान कहते […]
क्या हम सच में अपने कर्मों के कर्ता हैं? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 27 प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: |अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || 27 || अर्थात भगवान कहते […]
क्या हम सच में अपने कर्मों के कर्ता हैं? Read Post »
Bhagavad gita Chapter 3 Verse 25 26 सक्ता: कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत |कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम् || 25 ||न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम् |जोषयेत्सर्वकर्माणि
ज्ञानी व्यक्ति को कर्म करने की क्यों आवश्यकता है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 23 24 यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रित: |मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश: || 23
भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने आलस्य के बारे में क्या कहा है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 22 न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन । नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥
जब भगवान के लिए कोई कर्तव्य नही तो वे कर्म क्यों करते हैं? Read Post »
Bhagavad gita Chapter 3 Verse 21 यद्यदाचरति स श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥२१॥ अर्थात भगवान कहते हैं, जो
क्या श्रेष्ठ व्यक्ति के आचरण से ही समाज का मार्ग तय होता है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 20 कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादय: |लोकसंग्रहमेवापि सम्पश्यन्कर्तुमर्हसि || 20 || अर्थात भगवान कहते हैं, राजा
क्या निष्काम कर्म ही परमात्मा की प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 19 तस्मादसक्त: सततं कार्यं कर्म समाचर |असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुष: || 19 || अर्थात भगवान
क्या बिना आसक्ति के किया गया काम हमें परमात्मा तक ले जा सकता है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 18 नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन |न चास्य सर्वभूतेषु कश्चिदर्थव्यपाश्रय: || 18 || अर्थात भगवान
क्या सच्चे कर्मयोगी को कोई कर्तव्य निभाने की आवश्यकता होती है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 17 यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानव: |आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते || 17 || अर्थात भगवान
जो व्यक्ति खुद में पूर्ण है, क्या उसे समाज की अपेक्षाओं की परवाह करनी चाहिए? Read Post »
हर वर्ष सावन माह में आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा शिवभक्तों की आस्था और भक्ति का अद्भुत उदाहरण होती है।
भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2025) भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत शुभ
Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 16 एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह य: |अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति || 16 || अर्थात
क्या बिना ज़िम्मेदारी निभाए जीना बेकार है? जानिए गीता का नजरिया Read Post »