क्या निःस्वार्थ सेवा ही सच्चा कर्मयोग है? श्रीमद्भगवदगीता अध्याय 4 श्लोक 2
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 2 एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः । स कालेनेह महता योगो नष्टः परंतप ॥ २॥ अर्थात […]
क्या निःस्वार्थ सेवा ही सच्चा कर्मयोग है? श्रीमद्भगवदगीता अध्याय 4 श्लोक 2 Read Post »