क्या राग और द्वेष हमारे आध्यात्मिक विकास के सबसे बड़े शत्रु हैं?
Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 34 इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ । तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ ॥ ३४ ॥ अर्थात भगवान कहते […]
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