Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 18

क्या सच्चे कर्मयोगी को कोई कर्तव्य निभाने की आवश्यकता होती है?

Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 18 नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन |न चास्य सर्वभूतेषु कश्चिदर्थव्यपाश्रय: || 18 || अर्थात भगवान […]

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