आईआईटियन से साधू बनने तक का सफर : महाकुंभ के वायरल IIT बाबा की कहानी

IIT Baba

अभय सिंह जो की अब IITian बाबा के नाम से वायरल हो रहे है,ये हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गाँव के रहने वाले है। इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वही के निजी स्कूल से पूरी करी, अभय सिंह की नई कहानी तब शुरू हुई जब वे अपनी एरोस्पेस इंजीनियरिंग और विजुलाइजेशन की मास्टर डिग्री लेकर IIT मुंबई से निकले। हम सब बहुत सारे सपने देखते है और एक टाइम पर उन सपनो को पूरा करने के लिए खूब जी तोड़ मेहनत भी करते है लेकिन हमारा मन एक जगह पे कभी स्थिर नहीं रहता। वह बढ़ता रहता है। जिस कॉलेज मे एडमिशन लेने का आम आदमी सपना देखता है उस  IIT मुंबई से अपनी  इंजीनियरिंग पूरी कर अभय सिंह भी निकल पड़े अपने सपनो को पूरा करने। लेकिन किसे पता था की इन सब के बावजूद भी आध्यात्म उन्हें अपनी ओर इतना आकर्षित कर लेगा की उनकी सारी डिग्रीयां धरी की धरी रह जाएँगी। 

एरोस्पेस इंजीनियरिंग और विजुलाइजेशन की डिग्री लेने के बाद अभय की रूचि फोटोग्राफी मे  काफी बढ़ने लगी दो साल तक उन्होंने फोटोग्राफी  करी और फिर करोड़ो का पैकेज लेकर कनाडा नौकरी करने लगे। वे बताते है कनाडा मे सब कुछ होने पर भी उन्हें ऐसा लगता था जैसे वे ये सब चाहते ही नहीं, उनका मन अशांत रहने लगता वे अकेला महसूस करते तभी कोविड के दौरान सब कुछ छोड़कर उन्होंने भारत वापिस लौटने का फैसला किया। भारत लौटकर उन्होंने काफी तीर्थ स्थानों मे जाना शुरू किया व अनेक मंदिरो के दर्शन किये। 

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अभय सिंह से जुडी कुछ खास बातें :

  • अभय बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे और पढ़ाई मे हमेशा अव्वल आते थे।
  • जी तोड़ मेहनत करने के  बाद अच्छी  रैंक लाकर उन्होंने IIT बॉम्बे मे दाखिला लिया। 
  • इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद फोटोग्राफी कर वे कनाडा चले गए 
  • लाखो का पैकेज व शानो शौकत की ज़िंदगी छोड़ अभय  वापिस भारत लौट आये। 
  • भारत आने पर उन्हें अच्छे नेचुरोपैथी सेंटर मे दिखाया लेकिन डॉक्टरों ने इससे कोई बीमारी नहीं बल्कि अभय की आध्यात्म  की और बढ़ती रूचि बताया। 

कनाडा से वापिस क्यों लौटे IIT बाबा ?

कोविड के दौरान अभय कनाडा मे अपनी बहन के साथ  रहने  

लगे और वाहा नौकरी करने लगे। उनका सालाना 36 लाख का पैकेज हुआ करता था। इतनी बढ़िया नौकरी  जिसकी हर एक आम आदमी आकांशा करता है, ये सब अभय के पास था। लेकिन इन सब के बावजूद भी ऐसी क्या वजह रह गयी जिसने उन्हें इन सब चीजों से दूर कर दिया और सनातन की और आकर्षित  कर दिया ?

अभय का कहना है की ये सभी सुख सुविधा , पैसा, आराम ये बस कुछ समय का है और अंत मे आकर इंसान इन सब चीजों से ऊभ जाता है और फिर वह अपनी असली सुख की खोज मे निकलता है। उन्होंने बताया की आधयात्म की तरफ  उनका रुझाऊ अचानक से नहीं बल्कि धीरे – धीरे आया। जब पैसा कमाकर, अपने पैशन को फॉलो करके भी उन्हें मन की शांति व जीवन का मूल उद्देश्य नहीं मिला तो उनका ध्यान अध्यात्म, ईश्वर और सनातन मे बढ़ने लगा। 

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भारत लौटकर शुरू हुआ IIT बाबा बनने का सफर:

अभय के पिता बताते है की जब अभय कनाडा से वापिस आए  उसके बाद उनका ध्यान योग, मैडिटेशन इन सब मे काफी  बढ़ने लगा, उन्हें घूमने का भी बहुत शौक था। घर आने के बाद वे उज्जैन कुम्भ मे  भी गए, कुछ समय हरिद्वार मे भी रहे ऐसे ही वे बीच -बीच मे  शिमला, मसूरी  पहाड़ो मे घूमने भी निकल जाया करते थे। जब उनसे शादी या गृहस्त जीवन के बारे मे पूछा  जाता तो वह इसमें कोई दिलजस्पी नहीं लिया करते थे।  

अभय 11 महीने पहले अपने घर गए थे और उसके बाद से उनका अपने घरवालों से कोई संपर्क नहीं हुआ वे बस उन्हें कोई जरूरी काम होने पर मैसेज करने को बोलते थे। 6 महीने पहले उन्होंने अपने घर के सभी सदस्यों को ब्लॉक कर दिया और सारे संपर्क बंद कर दिए।

पिता बोले अब वापिसी नहीं आसान 

पिता ने बातचीत  पर यह बात बताई की अभय अपनी बात के पक्के है और यदि उन्होंने अपना भविष्य यही तय किया है तो उनका वापिस लौटना  मुश्किल है। उनके पिता चाहते है की वे घर लौट आये लेकिन उनका यह भी मानना है की कही उनकी इनसब बातो से अभय को यह न लगे की उनके पिता उन्हें वापिस घर ग्रहस्ती  की और मोड़ना चाहते है।  इकलौता बेटा  होने की वजह से उनकी माँ उनके वैरागी जीवन से  नाखुश और बहुत दुखी रहती है। 

IITian

अभय के काम से नाखुश  रहते थे घरवाले

अभय बताते है की उनके घरवाले उनके काम से नाखुश रहते थे। बचपन से ही उनपे पढ़ाई  का बहुत दबाव था। उनके IIT बॉम्बे  जाने की वजह घर से दूर जाना था।  उनके घरवाले उन्हें शादी के लिए भी बहुत दबाव डालते परन्तु उनकी इन सब मे कोई भी रुचि नहीं थी। उन्होंने अपने 4 साल के रिलेशन का भी जिक्र किया लेकिन शादी के फैसले तक नहीं पहुँच  पाए। उनके अनुसार उन्हें समझ नहीं आता था की वे शादी और बाकी जिम्मेदारियों को कैसे निभाएंगे साथ ही घर मे  माता पिता के आपसी झगड़े देख वे इन सब से दूर रहना चाहते थे। 

अंत मे अधात्यम धारण कर बने बाबा :

धीरे – धीरे उन्होंने योग, ध्यान का अभ्यास शुरू किया, वे अलग अलग यात्राओं मे जाने लगे। वे अपने आद्यात्मिक गुरु के रूप मे बाबा सोमेश्वर पुरी  को देखते है, अभय को वे काशी  मे  मिले और वही उन्होंने आईआईटीएन बाबा को जूना अखाड़ा के महात्माओं और कई  संतों से मिलवाया। महाकुंभ में उन्होंने साधुओं के साथ रहकर  साधना और सेवा में भाग लिया। 

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FAQs

प्रश्न 1: आईआईटी बाबा कहा के रहने वाले है ?

उत्तर: आईआईटी बाबा हरियाणा के झज्जर जिले  के  सासरौली  गाँव  के रहने वाले है।

प्रश्न 2: आईआईटी बाबा के  अपनी नौकरी छोड़ने के पीछे क्या कारन था ?

उत्तर: आईआईटी बाबा का अपनी नौकरी छोड़ने का मुख्या कारण था की उन्हें लगता था नौकरी से भी उन्हे उनके जीवन का अर्थ समझ नहीं आ रहा है इसिलए वे अपने अंतर्मन को जानना चाहते थे। 

प्रश्न 3: आईआईटी बाबा अपना आद्यात्मिक गुरु किसे मानते है?

उत्तर: आईआईटी बाबा , बाबा सोमेश्वर पुरी को अपना आध्यात्मिक गुरु मनाते। 

प्रश्न 4: आईआईटी बाबा का असली नाम क्या है ?

उत्तर: आईआईटी बाबा  का असली नाम अभय सिंह है । 

प्रश्न 5: आईआईटी बाबा  ने अपनी  जीवन दिशा मे ऐसा बदलाव को किया ?

उत्तर: आईआईटी बाबा अभय सिंह ने अपने  जीवन मे  ये बदलाव  जीवन के अर्थ को जानने के लिए किया। 

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