Author name: Kajal Makwana

नमस्कार दर्शकों मित्रो मेरा नाम Kajal Makwana है, में एक ब्लॉगर और यूट्यूबर हूं, तथा में आध्यात्मिकता (Spirituality) की श्रेणी में कंटेंट लिखती हूं और यूट्यूब पर विडियोज भी बनाती हूं। मुझे सनातन धर्म के बारे में जानना, आध्यात्मिकता को गहराई से समझना और हमारे हिन्दू धर्म के शास्त्रों जैसे रामायण, महाभारत, श्रीमद भगवद गीता, पुराण, तथा वेदों को पढ़ना बहुत पसंद है। मेरा लक्ष्य है कि मेरे लेखों और वीडियो के माध्यम से आपको (दर्शकों) सच्ची आध्यात्मिकता का अनुभव करा सकू, और हम सब के मन में ईश्वर के प्रति प्रेम जागृत हो ऐसा कुछ कर सकू, तथा आध्यात्मिकता बढ़ने से समाज में शायद बुरे कर्म करने वाले कुछ समझे सके! और आने वाली पीढ़ी भी सनातन धर्म को गहराई से समझ सके। Follow me on: YouTube

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 3

कौन सा मार्ग श्रेष्ठ है – ज्ञानयोग या कर्मयोग?

Bhagavad gita Chapter 3 Verse 3 श्रीभगवानुवाच |लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ |ज्ञानयोगेन साङ्ख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम् || 3 || अर्थात […]

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse1 2

अगर ज्ञान श्रेष्ठ है तो फिर कर्म क्यों करें?

Bhagavad gita Chapter 3 Verse 1 and 2 अर्जुन उवाच |ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन |तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव

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Ashadha Amavasya Vrat Katha 2025

Ashadha Amavasya Vrat Katha 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

आषाढ़ अमावस्या हिंदू धर्म में पितृ तर्पण और नए शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी

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Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 72

क्या अंतिम समय में भी शांति पाई जा सकती है?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 72 एषा ब्राह्मी स्थिति: पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति |स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति || 72 || अर्थात भगवान

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Bhagavad Gia Chapter 2 Verse 71

निर्मम निरहंकारी और नि:स्पृह व्यक्ति ही क्यों पाता है शांति?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 71 विहाय कामान्य: सर्वान्पुमांश्चरति नि:स्पृह: |निर्ममो निरहङ्कार: स शान्तिमधिगच्छति || 71 || अर्थात भगवान कहते

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Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 70

समुद्र जैसा संयम कैसे लाएं जीवन में? भगवद गीता से सीख

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 70 आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठंसमुद्रमाप: प्रविशन्ति यद्वत् |तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वेस शान्तिमाप्नोति न कामकामी ॥ ७०॥ अर्थात भगवान

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Yogini Ekadashi 2025

Yogini ekadashi vrat ki katha in hindi – जानिए इस व्रत की रहस्यमयी पौराणिक कथा और महत्व

Yogini Ekadashi 2025 हर एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है, लेकिन योगिनी एकादशी को पाप नाशिनी और

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क्या यह संसार मात्र एक रात्रि की तरह क्षणिक है?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 69 या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी |यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुने: ||

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इन्द्रियों को वश में करने से बुद्धि की स्थिरता कैसे प्राप्त होती है?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 68 तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वश: |इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता || 68 || अतः हे श्रेष्ठ! जिस

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Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 67

क्या असंयमित इंद्रियाँ हमारी बुद्धि को भटका देती हैं?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 67 इन्द्रियाणां हि चरतां यन्मनोऽनुविधीयते |तदस्य हरति प्रज्ञां वायुर्नावमिवाम्भसि || 67 || अर्थात भगवान् कहते

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bhagavad Gita Chapter 2 Verse 66

क्या अशांत मन वाला व्यक्ति सच्चा सुख पा सकता है?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 66 नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना |न चाभावयत: शान्तिरशान्तस्य कुत: सुखम् || 66 || अर्थात

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