करणी माता मंदिर, बीकानेर: एक अद्भुत धार्मिक स्थल

 एक अद्भुत धार्मिक स्थल

परिचय

करणी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक कस्बे में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है।यह करणी माता मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी अद्वितीय परंपरा और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर देवी करणी माता को समर्पित है, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यहां रहने वाले हजारों काले चूहे हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय माने जाते हैं। इन चूहों को काबा कहा जाता है और उन्हें भोजन खिलाना शुभ माना जाता है।

करणी माता का इतिहास और महत्व-

करणी माता का जन्म 1387 ईस्वी में चारण वंश में हुआ था। कहा जाता है कि वे एक चमत्कारी शक्ति से संपन्न थीं और उन्होंने कई चमत्कार किए  उन्होंने अपना जीवन आध्यात्मिकता और जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया।। उनका असली नाम रिधु बाई था, लेकिन बाद में उन्हें करणी माता के नाम से जाना गया।

माना जाता है कि करणी माता के आशीर्वाद से बीकानेर और जोधपुर के शासकों ने अपने किले बनवाए थे। उनकी चमत्कारी शक्तियों के कारण लोग उन्हें देवी का स्वरूप मानने लगे। 1512 ईस्वी में, उन्होंने देशनोक को अपना निवास स्थान बनाया और यहीं समाधि ली। उनकी मृत्यु के बाद उनके सम्मान में यह भव्य मंदिर बनवाया गया।

कर्णी माता से जुड़ी प्रमुख मान्यताएँ-

यमराज और करणी माता की कथा-

लोक कथाओं के अनुसार, करणी माता के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु एक जल स्रोत में डूबने से हो गई थी। माता ने जब यमराज से अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की, तो यमराज ने पहले इनकार कर दिया। लेकिन बाद में करणी माता की शक्ति के आगे झुकते हुए उन्होंने वरदान दिया कि चारण वंश के लोग मरने के बाद चूहों के रूप में जन्म लेंगे और बाद में फिर से मनुष्य बनेंगे। इस कारण यह मंदिर चूहों के लिए भी प्रसिद्ध है।

मंदिर में चूहों की मान्यता

इस मंदिर में हजारों की संख्या में काले चूहे रहते हैं, जिन्हें यहां काबा कहा जाता है। इन चूहों को देव तुल्य माना जाता है और यहां आने वाले श्रद्धालु इन्हें दूध और मिठाई खिलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त सफेद चूहा देख ले, तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

मंदिर की पौराणिक कथा-

कहानी के अनुसार, करणी माता का पुत्र लक्ष्मण कपिल सरोवर में डूबकर मर गया था। माता ने यमराज से उसे पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की। यमराज ने कहा कि यह संभव नहीं है, लेकिन करणी माता के अनुरोध पर उन्होंने उनके परिवार के सभी मृत पुरुषों को चूहे के रूप में पुनर्जन्म लेने का वरदान दिया। तभी से यह मंदिर चूहों का निवास स्थान बन गया।

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मंदिर की वास्तुकला और संरचना-

प्रवेश द्वार और संरचना-

करणी माता मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है और यह राजस्थान की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है। इस मंदिर के मुख्य द्वार को महाराजा गंगा सिंह ने बनवाया था और यह चाँदी के सुंदर नक्काशीदार दरवाजों से सुसज्जित है।

मुख्य मंदिर और गर्भगृह-

मंदिर में प्रवेश करने पर श्रद्धालु सीधे गर्भगृह में जाते हैं, जहाँ कर्णी माता की चतुर्भुजी मूर्ति स्थापित है। मूर्ति संगमरमर की बनी हुई है और इसके चारों ओर चूहों का वास है।

मंदिर का आंगन-

मंदिर का आंगन काफी बड़ा है, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं।

चूहों के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की जाती है।

अन्य प्रमुख आकर्षण-

सोने और चांदी से सजे दरवाजे और मंडप

मंदिर के चारों ओर विस्तृत प्रांगण

विशाल स्तंभ और राजस्थानी शैली की चित्रकला

मंदिर खुलने का समय-

सुबह 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक

आरती का समय:

मंगला आरती – सुबह 4:30 बजे

शयन आरती – रात 9:00 बजे

प्रमुख त्योहार और मेलों का आयोजन-

नवरात्रि उत्सव-

नवरात्रि में मंदिर में विशेष पूजा होती है और लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।(मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर) के दौरान मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता है।

हजारों श्रद्धालु माँ के दर्शन करने आते हैं।

भजन-कीर्तन और विशेष अनुष्ठान होते हैं।

दीपावली और होली-

इन त्योहारों पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है।

चूहों के लिए विशेष भोज आयोजित किया जाता है।

कर्णी माता मेले-

हर साल चैत्र और अश्विन मास में भव्य मेला लगता है, जिसमें राजस्थान और देश के अन्य हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं।

मंदिर से जुड़ी रोचक बातें-

1. यहाँ कभी प्लेग या महामारी नहीं फैली, जबकि इतने सारे चूहों की मौजूदगी के बावजूद मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है।

2. अगर कोई चूहा मर जाए, तो इसे सोने या चांदी से बने चूहे से बदलना होता है।

3. चूहों का भोजन ग्रहण करना भाग्यशाली माना जाता है।

4. सफेद चूहे बहुत दुर्लभ होते हैं, और इन्हें देखकर अत्यंत शुभ माना जाता है।

चूहों का रहस्य और महत्व-

इस मंदिर में लगभग 25,000 से अधिक चूहे रहते हैं।

इन्हें “काबा” कहा जाता है और यह पवित्र माने जाते हैं।

मान्यता है कि ये चूहे करणी माता के वंशजों के पुनर्जन्म हैं।

यहाँ के सफेद चूहे बेहद शुभ माने जाते हैं और इन्हें देखना सौभाग्य की निशानी होती है।

भक्त इन चूहों को दूध, लड्डू और अन्य प्रसाद खिलाते हैं।

मंदिर कैसे पहुँचें?

स्थान:

बीकानेर से लगभग 30 किमी दूर देशनोक नामक स्थान पर स्थित है।

कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर (253 किमी) और जयपुर (335 किमी) है।

रेल मार्ग: देशनोक रेलवे स्टेशन से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग: बीकानेर और अन्य प्रमुख शहरों से यहाँ तक बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।

यह मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है और यहाँ की अनूठी परंपराएँ इसे विश्वभर में प्रसिद्ध बनाती हैं। 

करणी माता, बीकानेर के बारे में पूछे जाने वाले  प्रश्न और उत्तर:

करणी माता कौन थीं?

करणी माता एक हिंदू संत थीं, जिन्हें दुर्गा माता का अवतार माना जाता है। वे राजपूत परिवारों की कुलदेवी भी मानी जाती हैं।

करणी माता मंदिर कहाँ स्थित है?

करणी माता का प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है।

करणी माता मंदिर की विशेषता क्या है?

इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां हजारों काले चूहे (काबा) रहते हैं, जिन्हें भक्त पवित्र मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?

करणी माता मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में करवाया था।

करणी माता मंदिर से जुड़ी प्रमुख मान्यता क्या है?

मान्यता है कि यहां के चूहे करणी माता के भक्तों और उनके वंशजों के पुनर्जन्म का रूप हैं। सफेद चूहा देखना शुभ माना जाता है।

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