
सालासर बालाजी मंदिर की उत्पत्ति की कथा-
भारत में कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं, जो आस्था और भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। उन्हीं में से एक है सालासर बालाजी धाम, जो राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है। यह हनुमानजी के प्रमुख मंदिरों में से एक है और इसे चमत्कारी व सिद्धपीठ माना जाता है। हर साल लाखों भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस लेख में हम सालासर बालाजी से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जैसे – मंदिर का इतिहास, मान्यताएँ, चमत्कार, मंदिर की वास्तुकला, यहाँ तक पहुँचने के मार्ग, प्रमुख त्यौहार, और दर्शन की विधि।
सालासर बालाजी मंदिर की स्थापना 1754 ईस्वी में हुई थी। इस मंदिर का इतिहास बेहद रोचक और चमत्कारी घटनाओं से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि एक किसान को अपने खेत में हनुमानजी की मूर्ति मिली थी, जो बाद में सालासर के प्रसिद्ध संत महात्मा मोहनदास जी को सौंपी गई।
हनुमानजी की मूर्ति का प्राकट्य-
राजस्थान के नागौर जिले के आसोटा गाँव में एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था। अचानक हल किसी कठोर वस्तु से टकराया और वहीं रुक गया। जब उसने ज़मीन खोदी तो उसे हनुमानजी की एक अद्भुत मूर्ति मिली। किसान ने यह बात गाँव वालों को बताई, और यह खबर दूर-दूर तक फैल गई।
ठाकुर के सपने में आया संदेश-
आसोटा गाँव के ठाकुर को उसी रात स्वप्न में आदेश मिला कि इस मूर्ति को सालासर में ले जाया जाए। वहीं, सालासर में एक भक्त रूपराम जी को भी सपने में यही आदेश मिला। रूपराम जी ने यह संदेश गाँव के लोगों को बताया।
मूर्ति का सालासर पहुंचना-
जब आसोटा गाँव के लोग मूर्ति को सालासर भेजने लगे, तो एक चमत्कार हुआ। बैलगाड़ी में रखी मूर्ति इतनी भारी हो गई कि कोई उसे हिला भी नहीं पाया। तब ठाकुर को स्वप्न में आदेश मिला कि मूर्ति को सालासर ले जाने के लिए रूपराम जी को बुलाया जाए। जैसे ही रूपराम जी ने मूर्ति को प्रणाम किया, बैलगाड़ी स्वतः ही हल्की हो गई और मूर्ति को आसानी से सालासर लाया गया।
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मंदिर का निर्माण-
सालासर में भक्तों ने इस पवित्र मूर्ति को स्थापित कर दिया। इसके बाद बालाजी महाराज के भक्त मोहनदास जी महाराज ने यहाँ भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। कहा जाता है कि यह स्थान भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करता है।
महात्मा मोहनदास जी को हुआ दिव्य संकेत-
उसी रात संत महात्मा मोहनदास जी को एक दिव्य स्वप्न आया, जिसमें हनुमानजी ने उन्हें आदेश दिया कि उनकी मूर्ति को सालासर में स्थापित किया जाए। यह मूर्ति स्वयं महात्मा जी के आदेशानुसार आसोटा से सालासर लाई गई और यहाँ स्थापित कर दी गई।
इस चमत्कारी घटना के बाद सालासर में हनुमानजी का भव्य मंदिर बना और यह स्थान एक शक्तिशाली सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
सालासर बालाजी की विशेषताएँ-
चमत्कारी मूर्ति-
सालासर बालाजी की मूर्ति अन्य हनुमान मंदिरों से अलग है। आमतौर पर हनुमानजी की मूर्तियाँ सिंदूरी रंग की होती हैं, लेकिन यहाँ हनुमानजी की मूर्ति काले पत्थर की बनी हुई है और उनका चेहरा गोल है।
चमत्कारी धागा (मनोकामना पूर्ति धागा)-
मंदिर में एक विशेष परंपरा है जिसे ‘मनोकामना पूर्ति धागा’ कहा जाता है। भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मंदिर में नारियल और लाल धागा चढ़ाते हैं। यह माना जाता है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं।
अखंड ज्योति-
मंदिर में एक अखंड ज्योति (निरंतर जलने वाली ज्योति) प्रज्वलित है, जो सदियों से जल रही है। यह ज्योति भक्तों की आस्था का केंद्र बनी हुई है और इसे हनुमानजी की कृपा का प्रतीक माना जाता है।
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मीठे प्रसाद का महत्व-
सालासर बालाजी मंदिर में मीठे प्रसाद का विशेष महत्व है। यहाँ गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है और भक्त इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
कड़ा और सिक्का बांधने की परंपरा-
भक्त यहाँ मन्नत के रूप में चांदी का कड़ा या सिक्का बांधते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो वे कड़ा खोलने आते हैं।
हनुमानजी के भक्तों की अनगिनत कहानियाँ-
ऐसा कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहाँ दर्शन करता है, उसकी सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं। व्यापारियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर की वास्तुकला-
सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान की पारंपरिक राजस्थानी स्थापत्य शैली में निर्मित है। मंदिर के निर्माण में सुंदर नक्काशी और शुद्ध संगमरमर का उपयोग किया गया है। मुख्य मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।
मुख्य आकर्षण-
मुख्य द्वार – मंदिर का प्रवेश द्वार भव्य और सुंदर नक्काशी से अलंकृत है।
गर्भगृह – यहाँ हनुमानजी की दिव्य मूर्ति स्थापित है, जिसके चारों ओर चांदी और सोने की परतें चढ़ाई गई हैं।
परिसर में अन्य छोटे मंदिर – परिसर में भगवान शिव, देवी दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं के छोटे मंदिर भी हैं।
सालासर बालाजी में प्रमुख त्यौहार और मेले-
सालासर बालाजी मंदिर में सालभर कई महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें लाखों भक्त शामिल होते हैं।
हनुमान जयंती
हनुमान जयंती यहाँ बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर विशेष पूजा, हवन और भंडारे का आयोजन किया जाता है।
चैत्र और आश्विन पूर्णिमा का मेला
साल में दो बार – चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के अवसर पर सालासर बालाजी का विशाल मेला लगता है। इसमें राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
मंगलवार और शनिवार की विशेष पूजा
मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इन दिनों हनुमानजी के लिए विशेष हवन, आरती और भजन-कीर्तन आयोजित किए जाते हैं।

कैसे पहुँचे सालासर बालाजी?
1. सड़क मार्ग से
सालासर बालाजी राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है और यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
दिल्ली से दूरी – लगभग 300 किमी
जयपुर से दूरी – लगभग 170 किमी
बीकानेर से दूरी – लगभग 180 किमी
राजस्थान रोडवेज की बसें और प्राइवेट टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
2. रेल मार्ग से
सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ (27 किमी) और रतनगढ़ (55 किमी) हैं। यहाँ से टैक्सी और बसें आसानी से मिल जाती हैं।
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3. हवाई मार्ग से
सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो सालासर से लगभग 170 किमी दूर है।
दर्शन और पूजा की विधि-
1. मंदिर में प्रवेश से पहले शुद्धता बनाए रखें।
2. हनुमानजी को नारियल, लाल धागा और चोला अर्पित करें।
3. गुड़-चना का प्रसाद चढ़ाएँ।
4. मंदिर में घंटी बजाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँ।
5. हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण पाठ का पाठ करें।
Salasar Balaji धाम न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। हनुमानजी की कृपा और इस मंदिर से जुड़ी चमत्कारी मान्यताएँ इसे और भी विशेष बनाती हैं। अगर आप भक्ति और आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं।
सालासर बालाजी के बारे में 5 महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर:
सालासर बालाजी कहां स्थित हैं?
Salasar Balaji बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है।
सालासर बालाजी किस देवता का मंदिर है?
यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है, जिन्हें यहाँ बालाजी के रूप में पूजा जाता है।
सालासर बालाजी मंदिर का क्या महत्व है?
यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ साल भर लाखों श्रद्धालु आते हैं, खासकर हनुमान जयंती और आश्विन पूर्णिमा के समय।
सालासर बालाजी मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
इस मंदिर की स्थापना 1754 ईस्वी में हुई थी, जब एक किसान को खेत में खुदाई करते समय बालाजी की मूर्ति मिली थी।
सालासर बालाजी मंदिर में कौन सा प्रसाद चढ़ाया जाता है?
यहाँ विशेष रूप से चूरमे का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसे भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।