
भूमिका :
भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल की कोई कमी नहीं है, लेकिन कुछ स्थल जो केवल पूजा अर्चना तक सीमित नहीं रहते ,बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य,शांति और ऐतिहासिक महत्व का एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है । नीलकंठ महादेव मंदिर जो कि उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित है, यह एक ऐसा मंदिर है जो हर साल हज़ारो श्रद्धालुओ और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहां शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हुए विष को अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका गला नीला पद गया और वे “नीलकंठ” कहलाए ।
यह स्थान शांति और ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान मन जाता है! यहाँ आने से मन को शांति मिलती है, और आद्यत्मिक उन्नति की दिशा में भी यह एक कदम बढ़ाने का अवसर मिलता है।
जो लोग अपने जीवन में मानसिक तनाव या परेशानी महसूस है , उनके लिए यह स्थान एक उत्तम स्थल है।
समुद्र मंथन और नीलकंठ महादेव :
हिन्दू पुराणों तथा पौराणिक रचनाओं के अनुसार , जब देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया, तो उसमें से 14 रत्न निकले । इन 14 रत्नों में से एक रत्न विष भी था जिसे “हलाहल” कहा जाता है , इस विष के उत्पन्न होने से पूर्व संसार को समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया था।
तब तब सभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना किए कि वह इस विष का संहार करें।
भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण लिया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाये।
पुराणों के अनुसार यही वो स्थान था जहां शिव ने विषपान किये थे , और इसलिए इस स्थान को “नीलकंठ महादेव” के नाम से जाना जाता है ।
सिद्ध स्थल और तंत्र साधना :
नीलकंठ महादेव मंदिर को एक सिद्धि स्थल मन जाता है, क्योकि यहाँ साधु-संत और तांत्रिक कार्यों के लिए आते हैं ।
मान्यता यह भी है की शिवरात्रि तथा सावन के महीने में यहाँ की गई पूजा बहुत फलदायी होती है ।
मंदिर की वास्तुकला तथा संरचना :
नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण पारम्परिक तरह से उत्तर भारतीय शैली में किया गया है, मंदिर का मुख्य शिखर ( गर्भगृह) जिसमे शिव की विभिन्न मुद्राओं को उत्तम नक्काशी से उकेरा गया है।
मंदिर के दीवारों पर समुंद्र मंथन की झलकियाँ देखनो को मिलती हैं, जिससे मंदिर की आद्यांतिमिक महत्व और नहीं बढ़ जाता है ।
मंदिर में एक प्राकृतिक जलस्रोत है, जिससे अत्यंत पवित्र मन जाता है! पूजा से पहले इस पवित्र जल में स्नान किया जाता है ।
मंदिर के पास ही एक कुंड है, यह विश्वास किया जाता है की यह पवित्र है और इस कुंड कुंड का जल स्वयं भगवान शिव के आशीर्वाद से निर्मल और सुध रहता है।
धार्मिक अनुष्ठान और प्रमुख त्योहार :
श्रावण मास ( सावन का महीना )
इस श्रावण मास में कावड़िये हरिद्वार और ऋषिकेश से गंगाजल लेकर आते हैं और नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक करते है इस दौरान मंदिर परिसर मे अत्यधिक श्रद्धालुओ का जमवाड़ा हो जाता हैं।
महाशिवरात्रि
इस दिन माता पार्वती और शिव जी का विवाह का उत्सव मनाया जाता है ।
सभी श्रद्धालु पूरी रात शिव की आराधना करते हैं।
सावन सोमवार और प्रदोष व्रत :
हर सोमवार पूजा और जलाभिषेक होता है।
प्रदोष व्रत के दिन भी यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं ।
नीलकंठ महादेव मंदिर कैसे पहुंचे ?
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 35 kilometer दूर स्थित है।
यहाँ तक पहुँचने के लिए तीन प्रमुख मार्ग हैं।
1. ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा
ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव तक टैक्सी ,बस ,और निजी सभी प्रकार के वाहन उपलब्ध हैं
यह यात्रा लगभग 1.5 से 2 घंटे का होता है। यह रास्ता बेहद घुमावदार और सुंदर मनमोहक प्रकृति का दीदार करता है ।
2.ट्रैकिंग के माध्यम ( पैदल यात्रा )
अगर आपको पैदल यात्रा और रोमांच पसंद करते है तो ऋषिकेश से महादेव मंदिर तक 15 से 17 किलोमीटर का पहाड़ी, घने जंगलो और झरनो से रास्ते होकर गुजरता है! जो की प्रकृति प्रेमियों के लिए शानदार अनुभव होता है।
ट्रैकिंग में लगभग 4 से 5 घंटे लगते है।
3. निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन : ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (32) किलोमीटर
हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (50
मंदिर के दर्शन का समय :
सुबह : 6:00 AM
रात : 9:00 PM
नीलकंठ महादेव मंदिर के पास दर्शनीय स्थल :
लक्समन झूला (22 किमी)
गंगा नदी पर स्थित यह एक ऐतिहासिक पुल है जो ऋषिकेश का प्रमुख आकर्षण है।
त्रिवेणी घाट
यहाँ गंगा ,यमुना सरस्वती नदियों का संगम होता है , जहां हार शाम को गंगा आरती होती है।
परमार्थ निकेतन (25 किमी )
यह एक बहुत प्रसिद्ध योग और अत्यधिक केंद्र है ।
गढ़वाल हिमालय के दॄश्य
मंदिर परिसर से हिमालय के बहुत ही अध्भुत नज़ारे देखने को मिलते है।
अगर आप कभी उत्तराखंड की यात्रा पर जाएं , तो नीलकंठ मंदिर को अपनी सूची में जरूर शामिल करें यहाँ की पवित्रता , शांति, और प्राकृतिक सुंदरता एक दिव्य अनुभूति प्रदान करेगी ।