
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन यह मंदिर एक और चीज के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, वो है यहां की रहस्यमयी तिजोरी। ये मंदिर अपने गुप्त और रहस्यमयी तिजोरी को लेकर खबरों में बना रहता है।
मंदिर भारत के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में से एक है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। प्राचीन रहस्यमय ग्रंथों के अनुसार मंदिर में छह तहखाने मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर को एक प्राचीन शाप से दूषित कर दिया गया था। कहा जाता है कि मंदिर का सारा खजाना इन छह अलग-अलग तहखानों में रखा हुआ है।
मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
यह पद्मनाभस्वामी मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह अपनी अद्भुत वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में से एक है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। प्राचीन रहस्यमय ग्रंथों के अनुसार मंदिर में छह तहखाने मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर को एक प्राचीन शाप से दूषित कर दिया गया था। कहा जाता है कि मंदिर का सारा खजाना इन छह अलग-अलग तहखानों में रखा हुआ है।
त्रावणकोर राजवंश का संरक्षण
केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित, सदियों से त्रावणकोर राजवंश के शाही संरक्षण में रहा है। इस राजवंश ने मंदिर के विकास और संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
महाराजा मार्तंड वर्मा ने मंदिर के जीर्णोद्धार और विस्तार का कार्य करवाया, जिससे मंदिर का वर्तमान भव्य स्वरूप सामने आया। उन्होंने मंदिर के गोपुरम, मंडप और अन्य संरचनाओं का निर्माण करवाया, जिससे मंदिर की सुंदरता और भव्यता में चार चांद लग गए।

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महाराजा मार्तंड वर्मा ने पद्मनाभस्वामी मंदिर को न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया, बल्कि इसे एक सांस्कृतिक केंद्र भी बनाया। उन्होंने मंदिर में कई त्योहार और उत्सव शुरू किए, जो आज भी मनाए जाते हैं। त्रावणकोर राजवंश ने मंदिर की संपत्ति और खजाने को भी सुरक्षित रखा, जिससे मंदिर दुनिया के सबसे धनी मंदिरों में से एक बन गया।
पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ
एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक तपस्वी राजा को दर्शन दिए और उनसे कहा कि वे उनके लिए एक मंदिर बनवाएं। राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया, और भगवान विष्णु ने अनंत शयन मुद्रा में यहाँ विराजमान होकर अपनी लीलाएँ शुरू कीं।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक बार एक ऋषि को दर्शन दिए और उनसे कहा कि वे उनके लिए एक पद्मनाभस्वामी मंदिर बनवाएं। ऋषि ने मंदिर का निर्माण करवाया, और भगवान विष्णु ने अनंत शयन मुद्रा में यहाँ विराजमान होकर अपनी लीलाएँ शुरू कीं।
ऐतिहासिक घटनाएँ और रहस्य
मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए, लेकिन हर बार त्रावणकोर राजवंश ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। 18वीं शताब्दी में महाराजा मार्तंड वर्मा ने मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार करवाया, जिससे मंदिर का वर्तमान भव्य स्वरूप सामने आया।
पद्मनाभस्वामी मंदिर के गुप्त तहखानों में अथाह खजाना छिपा हुआ है, जिसने हमेशा से ही लोगों की जिज्ञासा को बढ़ाया है। 2011 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर के तहखानों को खोला गया, जहाँ से अरबों रुपये का खजाना मिला।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर में मौजूद रहस्यमयी दरवाजों के पीछे क्या है?
मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थित, भारत के सबसे बड़े, रहस्यमयी और अथाह खजाने वाले पद्मनाभस्वामी मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में ऐसे तहखाने हैं, जिन्हें वॉल्ट A, B, C, D, E और F नाम दिया गया है। 2014 की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि यहां दो और तहखाने हैं, जिन्हें वॉल्ट जी और एच नाम दिया गया है।
सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सुंदरराजन ने मंदिर के बेहिसाब खजाने का जायजा लेने के लिए 2011 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2011 में इस मंदिर के तहखाने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में खोले गए, जिसमें बहुत सा धन, सोने-चांदी और हीरे-जवाहरात मिले, जिनकी कीमत खरबों में आंकी गई। वॉल्ट B, जिसे निलावरस या काल्लरा कहा गया, वो खुला ही नहीं। माना जाता है कि इसे खोलने का काम जो भी करेगा, वो दुर्भाग्य को निमंत्रण देगा।

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वॉल्ट B के पीछे की मान्यता
पद्मनाभस्वामी मंदिर के ‘वॉल्ट B’ को लेकर कई रहस्यमय मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस तहखाने को नागों द्वारा संरक्षित किया जाता है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, कांजीरोट्टू यक्षी नामक पिशाच और अन्य अलौकिक शक्तियां इसकी रक्षा करती हैं। मान्यता है कि जो भी इसे खोलने की कोशिश करेगा, वह दुर्भाग्य को आमंत्रित करेगा।
इस विश्वास को उस घटना से बल मिला जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अधिकारी ने इसे खुलवाने का प्रयास किया और कुछ ही हफ्तों में उनकी मृत्यु हो गई। यह भी कहा जाता है कि 1931 में, जब इस दरवाजे को खोलने का प्रयास किया गया था, तो हजारों नागों ने तहखाने को घेर लिया था, जिसके कारण कोशिश करने वालों की मौत हो गई थी। इन घटनाओं ने ‘वॉल्ट बी’ के प्रति लोगों के मन में भय और जिज्ञासा दोनों को जन्म दिया है।
रहस्यमयी दरवाजे की क्या है खासियत?
यह दरवाजा लकड़ी का बना है और ऐसा कहा जाता है कि यह किसी सांकल, जंजीर या बोल्ट आदि से नहीं, बल्कि कुछ खास मंत्रों के उच्चारण से बंद किया गया है। दरवाजे पर दो सांपों की आकृति बनी हुई है, जो बताती हैं कि इसे नाग पाशम जैसे शक्तिशाली मंत्र से बांधा गया है। मान्यता है कि केवल गरुड़ मंत्र का सही उच्चारण जानने वाला कोई ज्ञानी ही इसे खोल सकता है, लेकिन यह इतना मुश्किल है कि उच्चारण में थोड़ी सी चूक भी किसी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।
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मान्यता है कि जो भी इसे खोलने की कोशिश करेगा, वह दुर्भाग्य को आमंत्रित करेगा। इस विश्वास को उस घटना से बल मिला जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले अधिकारी ने इसे खुलवाने का प्रयास किया और कुछ ही हफ्तों में उनकी मृत्यु हो गई। यह भी कहा जाता है कि 1931 में, जब इस दरवाजे को खोलने का प्रयास किया गया था, तो हजारों नागों ने तहखाने को घेर लिया था, जिसके कारण कोशिश करने वालों की मौत हो गई थी।
पद्मनाभस्वामी मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है?
यह मंदिर त्रिवेंद्रम शहर के केंद्र में स्थित है और सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का 7वाँ दरवाज़ा क्यों नहीं खोला गया है?
इसके पीछे धार्मिक मान्यताएँ, सुरक्षा कारण और कोर्ट का आदेश है।
क्या मान्यता है कि 7वाँ दरवाज़ा कैसे बंद किया गया है?
मान्यता है कि इसे “नाग बंधन” या “नाग पाशम” मंत्रों का प्रयोग कर बंद किया गया है।
क्या 7वें दरवाजे की रक्षा अलौकिक शक्तियाँ करती हैं?
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, कांजीरोट्टू यक्षी नामक पिशाच और अन्य अलौकिक शक्तियां इसकी रक्षा करती हैं।
क्या 1931 में 7वें दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई थी?
हाँ, कहा जाता है कि 1931 में, जब इस दरवाजे को खोलने का प्रयास किया गया था, तो हजारों नागों ने तहखाने को घेर लिया था, जिसके कारण कोशिश करने वालों की मौत हो गई थी।
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