Sharad Purnima Vrat Katha 2025: व्रत कथा महिमा और वैज्ञानिक महत्व

Sharad Purnima Vrat Katha 2025: व्रत कथा महिमा और वैज्ञानिक महत्व

Sharad Purnima Vrat Katha 2025: व्रत कथा महिमा और वैज्ञानिक महत्व

शरद पूर्णिमा 2025 कब है?

शरद पूर्णिमा 2025 का पर्व इस वर्ष [06 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 07 अक्टूबर को सुबह को 09 बजकर 16 मिनट पर होगा।] को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होकर आकाश में पूर्ण रूप से चमकता है, इसलिए इसे अमृत वर्षा की रात भी कहा गया है।

शरद पूर्णिमा की महिमा (Sharad Purnima Significance)

शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महानंदमयी रास लीला की थी। यह दिन प्रेम, भक्ति और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से
इस रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे समीप होता है और उसकी किरणों में कैल्शियम और अन्य औषधीय तत्व होते हैं। इसी कारण इस रात को “अमृत वर्षा की रात” कहा जाता है।

शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima Vrat Katha)

बहुत समय पहले एक नगर में एक साहुकार रहता था। उसकी दो पुत्रियाँ थीं।
दोनों ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरे नियम-विधान से व्रत करती, जबकि छोटी पुत्री लापरवाही से व्रत को अधूरा छोड़ देती।

इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतान जन्म लेते ही मर जाती थी।
एक दिन उसने पंडित से पूछा – “मेरी संतान जीवित क्यों नहीं रहती?”
पंडित ने कहा – “तुम व्रत अधूरा करती हो, इसलिए तुम्हारी संतान का जीवन अधूरा रह जाता है।”

फिर छोटी बहन ने अगले वर्ष पूरे विधि-विधान से व्रत रखा।
लेकिन जब उसका बच्चा जन्मा, वह मृत था।
दुखी होकर उसने उसे एक पीढ़े पर लिटा दिया और अपनी बड़ी बहन को वहां बैठने के लिए बुलाया।

जैसे ही बड़ी बहन का वस्त्र उस बच्चे को छूता है, बच्चा रोने लगता है और जीवित हो जाता है।
बड़ी बहन यह देखकर चकित रह जाती है।

छोटी बहन बोली –
“बहन! यह तुम्हारे पुण्य और श्रद्धा का ही फल है कि यह बच्चा जीवित हुआ है।”

उस दिन से पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवाया गया —

“पूर्णिमा का व्रत अधूरा नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धा और विधि से व्रत करता है, उसे संतान-सुख और जीवन में सिद्धि प्राप्त होती है।”

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शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व

शरद पूर्णिमा की रात को जब चंद्रमा पूर्ण शक्ति से चमकता है, उसकी किरणों में अमृत तत्व समाए होते हैं। इसलिए इस दिन लोग दूध और खीर बनाकर खुले आकाश के नीचे रखते हैं ताकि चंद्रमा की किरणें उसमें पड़ें।

वैज्ञानिक दृष्टि से, इस प्रक्रिया से दूध और खीर में शीतलता और औषधीय गुण उत्पन्न होते हैं, जो शरीर में स्फूर्ति, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। धार्मिक दृष्टि से, यह रात साधना, ध्यान और भगवान चंद्र की उपासना के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है।

शरद पूर्णिमा पर पूजन विधि (Puja Vidhi)

  1. स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और चंद्रदेव का ध्यान करें।
  2. चांदी के या मिट्टी के दीपक में घी की बाती जलाकर चंद्रमा को अर्पित करें।
  3. चंद्रोदय के समय चांदी या तांबे के पात्र में जल लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  4. “ॐ सोमाय नमः” या चंद्र गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. खीर बनाकर उसे खुले आसमान में रख दें ताकि चंद्रमा की रोशनी उसमें पड़े।
  6. आधी रात के बाद उसी खीर को प्रसाद के रूप में परिवार के साथ ग्रहण करें।

 शरद पूर्णिमा पर करने योग्य उपाय (Upay for Health & Prosperity)

इस रात किए गए कुछ छोटे-छोटे उपाय आपके जीवन में शुभता ला सकते हैं:

  1. चंद्रमा की आरती करें और अपने जीवन से मानसिक तनाव दूर करने का संकल्प लें।
  2. गरीबों को खीर का प्रसाद या दूध दान करें।
  3. श्रीकृष्ण या लक्ष्मी माता की पूजा करें — आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति के लिए।
  4. जो लोग रोग या अनिद्रा से परेशान हैं, वे इस रात चांदनी में कुछ देर ध्यान लगाएं।
  5. व्रत रखकर ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें — इससे शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं।

परिवार और श्रद्धा का पर्व

इस रात पूरा परिवार आंगन या छत पर बैठकर चांदनी में खीर का प्रसाद ग्रहण करता है। बच्चे हंसते हैं, माता-पिता प्रार्थना करते हैं, और वातावरण भक्ति और आनंद से भर जाता है। यह रात हमें यह सिखाती है कि जब हम श्रद्धा और विश्वास से नियमों का पालन करते हैं, तब जीवन के अधूरे सपने भी पूर्ण हो जाते हैं।

शरद पूर्णिमा 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, विज्ञान और भक्ति का संगम है। इस रात की चांदनी हमें जीवन की पूर्णता और आत्मिक शांति का संदेश देती है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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