
हर वर्ष सावन माह में आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा शिवभक्तों की आस्था और भक्ति का अद्भुत उदाहरण होती है। लाखों कांवड़िये गंगाजल लाकर अपने नजदीकी शिवालयों में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। 2025 में कांवड़ यात्रा की शुरुआत को लेकर भक्तों के बीच सवाल है कि यह यात्रा 10 जुलाई को शुरू होगी या 11 जुलाई को?
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की शुरुआत 10 जुलाई 2025, गुरुवार से हो रही है। इसी दिन से भगवान शिव की आराधना के लिए भक्त उपवास, व्रत, और कांवड़ यात्रा की शुरुआत करते हैं। परंपरा के अनुसार, सावन के पहले दिन से ही कांवड़ यात्रा प्रारंभ मानी जाती है। ऐसे में कांवड़ यात्रा 10 जुलाई 2025 को शुरू होगी। कुछ स्थानों पर स्थानीय मान्यताओं और प्रशासनिक तैयारियों के अनुसार यात्रा एक दिन बाद यानी 11 जुलाई से भी शुरू हो सकती है।
क्या है कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व
कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह भगवान शिव के प्रति अपार भक्ति का प्रतीक है। यह यात्रा पवित्र नदियों—मुख्यतः गंगा से जल भरकर, नंगे पांव या कांधे पर कांवड़ उठाकर सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव या शहर के शिवालय तक ले जाने की परंपरा है। यह जल सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि इस जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कांवड़ यात्रा का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी मिलता है। विशेष रूप से समुद्र मंथन की कथा से यह यात्रा जुड़ी है, जिसमें देवताओं द्वारा शिव को विषपान कराने के बाद उन्हें शीतल जल अर्पित किया गया था।
Kawad Yatra 2025 में क्या रखें ध्यान
हालांकि इस यात्रा में भक्तों का जोश देखते ही बनता है, लेकिन बढ़ती भीड़ और प्रशासनिक नियमों को ध्यान में रखते हुए यात्रा से जुड़ी तिथियों और मार्गदर्शन की जानकारी पहले से ले लेना जरूरी है। कई राज्य सरकारें इस दौरान विशेष सुरक्षा और व्यवस्था करती हैं, ताकि यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो।
कांवड़ यात्रा 2025 की शुरुआत 10 जुलाई से मानी जा रही है, जो सावन मास का पहला दिन भी है। यह यात्रा आस्था, संयम और सेवा का प्रतीक है, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम अवसर भी है। अगर आप इस वर्ष कांवड़ यात्रा का हिस्सा बनने की योजना बना रहे हैं, तो नियमानुसार तैयारी करें और पूरी श्रद्धा के साथ इस आध्यात्मिक सफर का अनुभव लें।
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