Bhishma Panchak 2025: तिथि महत्व पूजा विधि नियम लाभ

Bhishma Panchak 2025: तिथि महत्व पूजा विधि नियम लाभ

Bhishma Panchak 2025: तिथि महत्व पूजा विधि नियम लाभ

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ महीनों में गिना गया है। इस पवित्र महीने में भक्तिभाव, दान, तप और मोक्ष साधना का विशेष महत्व होता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक आने वाले पाँच पावन दिनों को भीष्म पंचक कहा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की आराधना और पितरों की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि इन पाँच दिनों का पुण्य, चातुर्मास व्रत के समान फल प्रदान करता है। इसीलिए, सनातन परंपरा में भीष्म पंचक को मोक्ष मार्ग का द्वार माना गया है।

भीष्म पंचक 2025 की तिथि (Bhishma Panchak 2025 Date)

विवरणसमय/तारीख
कार्तिक शुक्ल एकादशी प्रारंभ1 नवंबर 2025, सुबह 9:11 बजे
एकादशी समाप्ति2 नवंबर 2025, सुबह 7:31 बजे
व्रत अवधि1 से 5 नवंबर 2025 तक
समापनकार्तिक पूर्णिमा, 5 नवंबर 2025 (बुधवार)

इन पाँच दिनों में भगवान विष्णु, तुलसी माता और गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। अर्थात यह व्रत आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार की शुद्धि प्रदान करता है।

भीष्म पंचक का धार्मिक महत्व (Religious Significance)

महाभारत के युद्ध के पश्चात भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर तपस्या कर रहे थे। अंतिम समय में उन्होंने पाँच दिनों तक कठोर व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना की।

इसी तपस्या के कारण, ये पाँच दिन:

  • आत्मशुद्धि
  • पितृ शांति
  • मोक्ष की प्राप्ति
  • जीव के पापों का क्षय

के लिए बहुत ही प्रभावशाली माने जाते हैं।

शास्त्रों में कहा गया है:

जो भीष्म पंचक व्रत को विधिपूर्वक करता है, वह अनेक जन्मों तक पुण्य और सौभाग्य प्राप्त करता है।

भीष्म पंचक पूजा विधि (Puja Vidhi)

भक्तों को प्रतिदिन नियमपूर्वक यह पूजा करनी चाहिए:

  1. प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें
  2. घर के मंदिर में भगवान विष्णु और तुलसी माता की स्थापना करें
  3. दीपक प्रज्वलित कर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें
  4. तुलसी को जल, चंदन, फूल अर्पण करें
  5. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें
  6. एक समय भोजन या फलाहार ग्रहण करें
  7. दान, जप, ध्यान और सेवा करें

पूजा करते समय मन, वाणी और कर्म की पवित्रता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

भीष्म पंचक में क्या दान करना चाहिए?

सात्विक और हितकारी वस्तुओं का दान अत्यंत शुभ माना गया है। जैसे:

  • वस्त्र
  • अन्न जल
  • तिल
  • दक्षिणा
  • तुलसी का पौधा
  • गौ सेवा या गौदान (सर्वश्रेष्ठ)

यह दान पितरों को शांति और भक्त को पुण्य प्राप्त कराता है।

भीष्म पंचक में क्या न करें?

पांच दिनों तक इन बातों से बचें:

  • मांस, मदिरा, तामसिक भोजन
  • बिना स्नान के तुलसी स्पर्श
  • झूठ, क्रोध, अपशब्द
  • छल-कपट, अपमान
  • देर रात भोजन करना

इन दिनों मन की पवित्रता का पालन सर्वोपरि है।

भीष्म पंचक का फल और लाभ

इस तपस्या द्वारा भक्त को मिलता है:

  • पितरों की आत्मा को शांति
  • जीवन से संकट, बाधाओं का नाश
  • घर में सौभाग्य और समृद्धि
  • चातुर्मास व्रत का समान पुण्य
  • मोक्ष मार्ग का खुलना
  • भगवान विष्णु की कृपा सदा बनी रहना

इन पाँच दिनों का महत्व केवल व्रत तक सीमित नहीं,

यह कृतज्ञता, तप, भक्ति और आत्मअनुशासन का उत्सव है।

भीष्म पंचक 2025 बस आने ही वाला है। सभी भक्त अभी से तैयारी कर लें भगवान विष्णु की पूजा, तुलसी सेवा और दान कार्य का संकल्प लें। आपके जीवन में सदैव सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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