नर्मदा परिक्रमा का क्या महत्व है?

नर्मदा

नर्मदा नदी, जिसे माँ रेवा के नाम से भी जाना जाता है, भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक है। यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है और अरब सागर में मिलती है। नर्मदा परिक्रमा एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक यात्रा है, जिसमें श्रद्धालु नर्मदा नदी के किनारे-किनारे पैदल चलते हैं। यह यात्रा न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

नर्मदा परिक्रमा का धार्मिक महत्व

माँ रेवा का आशीर्वाद

नदी की परिक्रमा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अनुभव भी है। इस यात्रा में भक्त विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों के लोगों से मिलते हैं, और वे नर्मदा नदी के तट पर स्थित विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का दौरा करते हैं। नर्मदा नदी की परिक्रमा भक्तों को प्रकृति के करीब ले जाती है और उन्हें आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है।

नर्मदा नदी को माँ का दर्जा दिया गया है और इसे देवी नर्मदा का भौतिक रूप माना जाता है। मान्यता है कि परिक्रमा करने से माँ रेवा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यह यात्रा भक्तों को आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है।

पापों का नाश

नर्मदा परिक्रमा, एक आध्यात्मिक यात्रा, न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग भी है। इसे पापों के नाश करने वाला माना जाता है, जो भक्तों के जीवन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है।

मान्यता है कि इस यात्रा को करने से पिछले जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है। यह धारणा भक्तों को एक नई शुरुआत का अवसर प्रदान करती है, जहाँ वे अपने कर्मों को सुधारने और एक धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित होते हैं।

यह यात्रा व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। नर्मदा नदी के शांत और पवित्र वातावरण में रहने से, भक्तों को मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति मिलती है। यह उन्हें तनाव और चिंता से मुक्त करता है, और उन्हें जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने में मदद करता है।

मोक्ष की प्राप्ति 

नर्मदा परिक्रमा, एक आध्यात्मिक यात्रा, न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है। इस यात्रा को करने से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है, ऐसी मान्यता है।

नदी को माँ का दर्जा दिया गया है और इसे देवी नर्मदा का भौतिक रूप माना जाता है। यह नदी भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है, जहाँ वे अपनी आत्मा को शुद्ध करने और परमात्मा से जुड़ने के लिए आते हैं। परिक्रमा के दौरान, भक्त नदी के किनारे-किनारे चलते हैं, ध्यान और योग का अभ्यास करते हैं, और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं। यह उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

नर्मदा परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व

आंतरिक शांति

नर्मदा परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालु नदी के किनारे-किनारे चलते हैं, जो उन्हें प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनुभव कराता है। वे पेड़ों, पहाड़ों और नदियों के बीच रहते हैं, जो उन्हें प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में मदद करता है। यह उन्हें शहरी जीवन के तनाव और शोर से दूर ले जाता है, और उन्हें एक शांत और शांतिपूर्ण वातावरण में रहने का अवसर प्रदान करता है।

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परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालु ध्यान और चिंतन करते हैं, जो उन्हें अपने अंतर्मन से जुड़ने में मदद करता है। वे अपने विचारों और भावनाओं का विश्लेषण करते हैं, और वे अपने जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं। यह उन्हें आत्म-जागरूकता और आत्म-ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।

आत्म-अनुशासन 

नर्मदा परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालुओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि लंबी दूरी तय करना, कठिन मौसम की स्थिति में चलना, और भोजन और आवास की कमी। यह यात्रा श्रद्धालुओं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाती है, और उन्हें धैर्य और सहनशीलता सिखाती है।

परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालुओं को अपनी सीमाओं को पार करने का अवसर मिलता है। वे अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को चुनौती देते हैं, और वे यह सीखते हैं कि वे अपनी सीमाओं से परे जा सकते हैं। यह यात्रा उन्हें आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान प्रदान करती है।

प्रकृति से जुड़ाव  

नर्मदा परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालु नदी के किनारे-किनारे चलते हैं, जो उन्हें प्रकृति की सुंदरता और शांति का अनुभव कराता है। वे हरे-भरे जंगलों, पहाड़ों, नदियों और झरनों के बीच रहते हैं, जो उन्हें प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में मदद करता है। यह उन्हें शहरी जीवन के तनाव और शोर से दूर ले जाता है, और उन्हें एक शांत और शांतिपूर्ण वातावरण में रहने का अवसर प्रदान करता है।

परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालु प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनते हैं। वे यह सीखते हैं कि प्रकृति कितनी महत्वपूर्ण है और हमें इसे कैसे संरक्षित करना चाहिए। वे यह भी सीखते हैं कि हमें प्रकृति के साथ सद्भाव में कैसे रहना चाहिए।

नर्मदा परिक्रमा कैसे करें?

यात्रा की तैयारी 

नर्मदा परिक्रमा की तैयारी में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की तैयारी शामिल है। श्रद्धालु को यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, जूते, भोजन और दवाइयाँ ले जानी चाहिए। श्रद्धालु को यात्रा के दौरान धैर्य और साहस बनाए रखना चाहिए।

यात्रा का मार्ग 

नर्मदा परिक्रमा का मार्ग लगभग 3500 किलोमीटर लंबा है। यह यात्रा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर गुजरती है। श्रद्धालु को नर्मदा नदी के किनारे-किनारे पैदल चलना होता है।

यात्रा की अवधि  

Narmada परिक्रमा की अवधि लगभग 3 साल 3 महीने और 13 दिनों की होती है। श्रद्धालु को यात्रा के दौरान कई धार्मिक स्थलों और मंदिरों के दर्शन करने का अवसर मिलता है।

नर्मदा परिक्रमा के नियम

  • नर्मदा परिक्रमा केवल पैदल ही की जाती है।
  • रेवा परिक्रमा में नदी को पार नहीं किया जाता है।
  • नर्मदा परिक्रमा में महिलाओं और पुरुषों को साथ में चलने की अनुमति नहीं है।
  • रेवा परिक्रमा में किसी भी प्रकार का नशा करना वर्जित है।
  • नर्मदा परिक्रमा में माँ नर्मदा की स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

नर्मदा परिक्रमा का सामाजिक महत्व

सांस्कृतिक एकता

परिक्रमा विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाती है और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देती है। यह यात्रा विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करती है।

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सामाजिक सेवा

नर्मदा परिक्रमा के दौरान, श्रद्धालु कई सामाजिक सेवा कार्यों में भाग लेते हैं। वे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते हैं।

पर्यटन को बढ़ावा 

नर्मदा परिक्रमा पर्यटन को बढ़ावा देती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है। यह यात्रा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है।

नर्मदा परिक्रमा एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक यात्रा है, जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है। यह यात्रा न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। परिक्रमा करने से माँ रेवा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह यात्रा व्यक्ति को आंतरिक शांति, आत्म-अनुशासन और प्रकृति से जुड़ाव प्रदान करती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नर्मदा नदी को माँ रेवा क्यों कहा जाता है?

रेवा नदी को माँ रेवा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह नदी मध्य भारत की जीवनरेखा है और यह लाखों लोगों को पानी, भोजन और आश्रय प्रदान करती है। इसे देवी नर्मदा का भौतिक रूप माना जाता है और यह भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र है।

नर्मदा परिक्रमा करने से क्या लाभ होते हैं?

रेवा परिक्रमा करने से कई लाभ होते हैं। यह यात्रा भक्तों को आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है। मान्यता है कि परिक्रमा करने से पिछले जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है। यह यात्रा व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

नर्मदा परिक्रमा कैसे की जाती है?

रेवा परिक्रमा केवल पैदल ही की जाती है। इस यात्रा में भक्त नर्मदा नदी के किनारे-किनारे चलते हैं और विभिन्न धार्मिक स्थलों और मंदिरों के दर्शन करते हैं। परिक्रमा में नदी को पार नहीं किया जाता है।

नर्मदा परिक्रमा कितने समय में पूरी होती है?

रेवा परिक्रमा की अवधि लगभग 3 साल 3 महीने और 13 दिनों की होती है।

नर्मदा परिक्रमा के दौरान किन स्थानों के दर्शन करने चाहिए?

नर्मदा परिक्रमा के दौरान कई धार्मिक स्थलों और मंदिरों के दर्शन करने चाहिए। इनमें अमरकंटक, ओंकारेश्वर, महेश्वर और भरूच प्रमुख हैं।


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