पापांकुशा एकादशी व्रतकथा 2025 पढ़ें ये व्रत कथा, मोक्ष की होगी प्राप्ति

पापांकुशा एकादशी व्रतकथा 2025

पापांकुशा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है और इसे करने से समस्त पापों का नाश होकर आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। खास बात यह है कि इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग जैसे दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।

पापांकुशा एकादशी का महत्व

शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

  • इस व्रत के प्रभाव से मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
  • आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है।
  • यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की आराधना के लिए किया जाता है।
  • श्रद्धा और भक्ति के साथ उपवास करने से भगवान विष्णु अपने भक्त को असीम कृपा प्रदान करते हैं।

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पापांकुशा एकादशी 2025 पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष पापांकुशा एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त:

प्रातःकाल पूजा का समय – सुबह 06:15 बजे से 10:41 बजे तक

व्रत और पूजा विधि:

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. तुलसी दल, पुष्प और फल अर्पित करें।
  4. पूरे दिन उपवास रखें और हरि नाम का जप करें।
  5. रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
  6. अगले दिन सूर्योदय के बाद दान-पुण्य कर पारण के साथ व्रत संपन्न करें।

पापांकुशा एकादशी व्रतकथा 2025

पौराणिक कथाओं के अनुसार, विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह निर्दयी और क्रूर था, जिसने अपने जीवनभर पाप कर्म ही किए। एक दिन यमदूत उसके पास आए और बोले –
“कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है, हम तुम्हें यमलोक ले जाएंगे।”

यह सुनकर बहेलिया भयभीत हो गया। वह भागकर ऋषि अंगिरा के आश्रम पहुँचा और प्रार्थना करने लगा –
“हे मुनिवर! मैंने जीवनभर पाप किए हैं। कृपया मुझे मुक्ति का मार्ग बताइए।”

ऋषि अंगिरा ने उसे उपदेश दिया –
“यदि तुम सच्चे हृदय से पापांकुशा एकादशी का व्रत करोगे, तो तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे और तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।”

बहेलिये ने विधि-विधान से व्रत किया। मृत्यु के बाद उसके सारे पाप समाप्त हो गए और उसे विष्णुलोक की प्राप्ति हुई।

पापांकुशा एकादशी का फल

  • इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को कभी नरक की यातना नहीं सहनी पड़ती।
  • भक्त को विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है।
  • पापों का क्षय होता है और जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।
  • यह व्रत आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का दिव्य मार्ग है।

पापांकुशा एकादशी का व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक उत्थान और मोक्ष की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पावन दिन यदि श्रद्धा और विश्वास से भगवान विष्णु का स्मरण, पूजा और व्रत किया जाए, तो जीवन के सभी दुख और पाप नष्ट हो जाते हैं।

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