
हर साल पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का समय वह पावन अवसर होता है जब हम अपने पितरों को स्मरण करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पूजा-अर्चना करते हैं।
Pitru Paksha 2025 कब है?
वर्ष 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से होगी और यह 15 दिनों तक चलेगा। इस अवधि को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है और यह पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित होता है।
शास्त्रों में कहा गया है –
“पितृ देवो भव” – अर्थात् पितरों को देवताओं के समान सम्मान देना चाहिए।
Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में किस समय करें पितरों का तर्पण?
तर्पण (जल अर्पण) करने का समय विशेष महत्व रखता है। वैदिक पंचांग के अनुसार Pitru Paksha 2025 में तर्पण के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं –
- कुतुप मुहूर्त – सुबह 11:53 से दोपहर 12:44 तक
- रौहिण मुहूर्त – दोपहर 12:44 से 01:34 तक
- अपराह्न काल – दोपहर 01:34 से 04:04 तक
इन समयों में किया गया तर्पण सबसे उत्तम माना जाता है।
यह भी पढ़ें : Chandra Grahan 2025: तिथि, समय और ज्योतिषीय महत्व
पितृ पक्ष तर्पण विधि 2025
तर्पण करते समय इन नियमों का पालन करें –
- तर्पण के लिए दोपहर का समय चुनें।
- तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करें।
- यदि जनेऊ पहनते हैं तो इसे दाहिने कंधे पर धारण करें।
- तांबे के पात्र में जल, दूध, काले तिल और जौ मिलाएं।
- अंजलि बनाकर तीन बार जल अर्पित करें और मंत्र का उच्चारण करें –
“ॐ पितृभ्यः नमः”
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
पितृ पक्ष में सावधानियां
- पितृ पक्ष के दौरान विवाह, गृह प्रवेश या अन्य शुभ कार्य न करें।
- इस समय प्याज और लहसुन का सेवन न करें।
- पितरों को केवल सात्विक भोजन ही अर्पित करें।
- तर्पण के बाद भोजन कौवे, गाय और कुत्ते को अवश्य खिलाएं। इन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है।
- यदि संभव हो तो तर्पण पवित्र नदी के तट पर करें। यह और अधिक पुण्यदायी होता है।
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष हमें केवल अपने पूर्वजों को स्मरण करने का अवसर ही नहीं देता, बल्कि हमें हमारे संस्कारों और कर्तव्यों की याद भी दिलाता है।
श्रद्धापूर्वक किया गया तर्पण –
- पितरों की आत्मा को शांति देता है,
- परिवार पर आशीर्वाद और समृद्धि लाता है,
- जीवन में सुख-शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।
YouTube Video
FAQs
पितृ पक्ष 2025 कब शुरू हो रहा है?
7 सितंबर 2025 से पितृ पक्ष आरंभ होगा और यह 21 सितंबर तक चलेगा।
तर्पण के लिए कौन-से पदार्थ मिलाने चाहिए?
जल, दूध, काले तिल और जौ।
पितृ पक्ष में तर्पण का सबसे शुभ समय कौन-सा है?
कुतुप मुहूर्त (11:53 – 12:44), रौहिण मुहूर्त (12:44 – 01:34) और अपराह्न काल (01:34 – 04:04)।
पितरों को भोजन कैसे अर्पित करना चाहिए?
सात्विक भोजन बनाकर उसे कौवे, गाय और कुत्ते को खिलाना चाहिए।