
Sharad Purnima 2025 : तिथि महत्व स्नान-दान का समय और पूजा विधि
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। यह तिथि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होकर अमृत बरसाते हैं। इस रात की चांदनी का स्पर्श रोगों को दूर करने वाला और सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है।
इस लेख में हम आपको बताएँगे शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि, मुहूर्त, महत्व, स्नान-दान का समय और पूजा विधि विस्तार से।
शरद पूर्णिमा 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ –
06 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:23 बजे से होगी।
इसका समापन 07 अक्टूबर 2025 को सुबह 09:16 बजे होगा।
पंचांग गणना के आधार पर इस वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा।
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शरद पूर्णिमा 2025 स्नान-दान और शुभ मुहूर्त
इस पवित्र अवसर पर स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है। शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं –
ब्रह्म मुहूर्त स्नान-दान: सुबह 04:39 से 05:28 तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 10:41 से 12:09 तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 12:09 से 01:37 तक
इन समयों में स्नान, जप, दान और पूजा करने से शुभ फल मिलता है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
1. चंद्रमा की अमृतमयी किरणें: इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट आते हैं और उनकी चांदनी अमृत समान मानी जाती है।
2. खीर की परंपरा: मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को दूध या खीर को खुले आकाश के नीचे रखने से उसमें अमृत का संचार होता है। अगली सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से रोगों से मुक्ति और निरोगी काया प्राप्त होती है।
3. धन-धान्य की वृद्धि: इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
4. दान का महत्व: पूर्णिमा तिथि पर अन्न, वस्त्र, चावल, दूध और मिठाई का दान करने से पितरों की तृप्ति होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा 2025 पूजा विधि
इस दिन की पूजा विधि अत्यंत सरल और फलदायी है।
1. प्रातःकाल पवित्र नदी में स्नान करें, या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
2. साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
3. भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की विधिवत पूजा करें।
4. फल, फूल, अक्षत, धूप, दीप और वस्त्र अर्पित करें।
5. गाय के दूध से खीर बनाकर भोग लगाएँ।
6. रात्रि में चंद्र देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य में दूध, चावल और सफेद फूल अवश्य डालें।
7. रातभर खीर को चांदनी में रखें और सूर्योदय से पहले प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
8. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करें।
शरद पूर्णिमा और चांदनी की ऊर्जा
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात की चांदनी में विशेष औषधीय गुण होते हैं। यही कारण है कि इस दिन बनाई गई खीर को अमृत तुल्य माना जाता है। यह न केवल शरीर को निरोगी बनाती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करती है।
शरद पूर्णिमा 2025 (06 अक्टूबर) का पर्व सभी के लिए अत्यंत शुभ और पावन है। इस दिन स्नान-दान, व्रत, पूजा और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह दिन हमें आध्यात्मिक ऊर्जा और चंद्रमा की दिव्य कृपा का अनुभव कराता है।
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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।