
Navratri Day 9 माँ सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियाँ प्रदान करने वाली नवमी शक्ति
नवरात्रि का नौवां दिन माँ दुर्गा की नवमी शक्ति माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। माँ सिद्धिदात्री वह देवी हैं जो अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। उनकी उपासना से साधक को जीवन में अद्भुत शक्ति, सफलता और दिव्य अनुभव प्राप्त होता है।
माँ सिद्धिदात्री कौन हैं?
माँ सिद्धिदात्री को दुर्गा की नवमी शक्ति कहा गया है। जो भक्त श्रद्धा और पूर्ण विधि-विधान से नवमी के दिन उनकी पूजा करता है, उसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। साधक में ऐसी शक्ति आ जाती है कि उसके लिए इस ब्रह्मांड में कोई भी वस्तु, ज्ञान या लक्ष्य कठिन नहीं रहता।
शास्त्रों में उल्लेख
शास्त्रों में माँ सिद्धिदात्री की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- मार्कंडेय पुराण के अनुसार आठ प्रमुख सिद्धियाँ होती हैं:
अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। - वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण में कुल अठारह सिद्धियों का वर्णन है:
- अणिमा
- लघिमा
- प्राप्ति
- प्राकाम्य
- महिमा
- ईशित्व-वशित्व
- सर्वकामावसायिता
- सर्वज्ञत्व
- दूरश्रवण
- परकाय प्रवेश
- वाकसिद्धि
- कल्पवृक्षत्व
- सृजन शक्ति
- संहार शक्ति
- अमरत्व
- सर्वन्यायकत्व
- भावना
- सिद्धि
माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को इन सभी सिद्धियों का वरदान देने में सक्षम हैं।
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भगवान शिव से संबंध
देवीपुराण में वर्णित है कि भगवान शिव को भी सभी सिद्धियाँ माँ सिद्धिदात्री की कृपा से प्राप्त हुईं। उनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ, और वे अर्धनारीश्वर कहलाए। यह उनके दिव्य स्वरूप और शक्ति के अद्वितीय संगम का प्रतीक है।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली दिव्य स्वरूपिनी हैं।
- उनका वाहन सिंह है।
- वे कमलासन पर भी विराजमान होती हैं।
- उनके एक हाथ में कमल पुष्प होता है, जो शुद्धि और भक्ति का प्रतीक है।
उनके स्वरूप का दर्शन करने मात्र से साधक को आत्मविश्वास और भक्ति की अनुभूति होती है।
पूजा विधि और लाभ
नवरात्रि में माँ सिद्धिदात्री की पूजा अंतिम दिन की जाती है।
- पहले आठ दिनों तक अन्य दुर्गा रूपों की उपासना करने के बाद नवमी को विशेष रूप से उनकी पूजा का विधान है।
- पूजा में लाल या गुलाबी पुष्प, धूप-दीप और शुद्ध मन से मंत्र जप करना अत्यंत लाभकारी है।
- भक्त की सभी सांसारिक और आध्यात्मिक इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
- माँ की कृपा से साधक भौतिक सुखों से ऊपर उठकर मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होता है।
ध्यान और मंत्र
माँ सिद्धिदात्री की उपासना के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है:
या देवी सर्वभूतेषु मा सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
अर्थ: हे माँ! जो सम्पूर्ण जीवों में सिद्धिदात्री रूप में विराजमान हैं, आपको बार-बार प्रणाम है। कृपया मुझे अपने आशीर्वाद का पात्र बनाइए।
नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधना करने से साधक को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और भक्ति तथा आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। अंततः साधक मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है। इसलिए इस पावन अवसर पर हमें माँ सिद्धिदात्री का स्मरण, ध्यान और जप करना चाहिए ताकि हम भी उनके दिव्य आशीर्वाद से आलोकित हो सकें।
Maa Siddhidatri Katha In Gujarati
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।