क्या बिना ज़िम्मेदारी निभाए जीना बेकार है? जानिए गीता का नजरिया
Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 16 एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह य: |अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति || 16 || अर्थात […]
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