कर्म अकर्म और विकर्म का असली अर्थ क्या है?
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 17 कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥१७॥ अर्थात […]
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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 17 कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥१७॥ अर्थात […]
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Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 16 किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः । तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥१६॥ अर्थात भगवान
कर्म और अकर्म में अंतर क्या है? गीता का रहस्य Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 15 एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः । कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम् ।।१५।।
क्या मोक्ष प्राप्त होने पर भी कर्तव्य-कर्म करना आवश्यक है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 13 14 चातुर्वर्ण्य मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः । तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम् ॥१३॥न मां कर्माणि लिम्पन्ति
क्या भगवान सृष्टि के कर्ता होते हुए भी अकर्ता हैं? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 12 काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः । क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ॥१२॥
क्या देवताओं की पूजा से मिलने वाला कर्मफल स्थायी होता है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 11 ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् । मम वर्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥११॥ अर्थात
क्या भगवान हर भक्त को उसके भाव के अनुसार स्वीकार करते हैं? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 10 वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः ।बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः ।।१०।। अर्थात भगवान कहते हैं, राग भय
राग भय और क्रोध से मुक्त होकर ईश्वर को कैसे पाया जा सकता है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 9 जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः । त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति
भगवान के दिव्य जन्म और कर्म को जानने से क्या होता है? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 8 परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥ ८॥ अर्थात भगवान
क्या भगवान हर युग में अवतार लेते हैं धर्म की स्थापना के लिए? Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 7 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ ७॥ अर्थात भगवान
भगवान कब लेते हैं अवतार? जानिए गीता का रहस्य, अध्याय 4 श्लोक 7 Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 6 अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन् । प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया ॥६॥ श्री भगवान बोले यद्यपि मैं
ईश्वर अजन्मा होकर भी क्यों प्रकट होते हैं? जानें योगमाया का रहस्य Read Post »
Bhagavad Gita Chapter 4 Verse 5 श्रीभगवानुवाचबहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन । तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परंतप
श्रीकृष्ण को अपने सभी जन्म कैसे याद हैं? क्या हम भी जान सकते हैं अपने पूर्वजन्म? Read Post »