
गुजरात के कच्छ जिले में माता नो मढ़ नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह अपनी चमत्कारी शक्तियों और मनोकामना पूर्ति के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है, और वे यहाँ अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं। माँ आशापुरा मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि माँ उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।
यह कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन मंदिर का वर्तमान स्वरूप 19वीं शताब्दी में बना है। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी और गुजराती शैली का मिश्रण है, और इसमें कई सुंदर मूर्तियां और नक्काशी हैं।
माँ आशापुरा मंदिर का इतिहास
चीन पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन मंदिर का वर्तमान स्वरूप 19वीं शताब्दी में बना है।
इस दौरान, मंदिर को कई बार पुनर्निर्मित और विस्तारित किया गया है। मंदिर का इतिहास विभिन्न राजवंशों के उत्थान और पतन का साक्षी रहा है, और यह कच्छ के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कथाओं के अनुसार, माँ आशापुरा को जडेजा राजवंश की कुलदेवी माना जाता है। उन्होंने कई अवसरों पर राजवंश की रक्षा की और उन्हें विजय दिलाई।
यह मंदिर 14वीं शताब्दी में बना था, लेकिन समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार और विस्तार होता रहा है। मंदिर की वास्तुकला में स्थानीय कच्छी शिल्प कला की छाप दिखाई देती है, जो इसे अद्वितीय बनाती है।
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पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ
मंदिर की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो माँ आशापुरा की लीलाओं और मंदिर के महत्व को दर्शाती हैं।
मान्यता है कि माँ आशापुरा ने भक्तों की रक्षा के लिए कई चमत्कार किए हैं, और वे आज भी अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।
माँ आशापुरा को अन्नपूर्णा देवी का अवतार माना जाता है।
ऐतिहासिक घटनाएँ और पुनर्निर्माण
ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है, जिनमें आक्रमण, पुनर्निर्माण और धार्मिक पुनरुत्थान शामिल हैं।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप 19वीं शताब्दी में बना है, जब इसका जीर्णोद्धार किया गया था।
मंदिर को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है।
कई समुदायों की कुल देवी
मुख्य रूप से कच्छ में यहां की कुल देवी माता आशापुरा की पीठ है। आशापुरा माता को कई समुदाय अपनी कुलदेवी के रूप में मानते हैं।
इनमें से मुख्य रूप से नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल बारिया राज्य के शासक वंश, चौहान, और जडेजा राजपूत शामिल हैं।
गुजरात मे आशापुरा माता का मुख्य मंदिर कच्छ मे, ‘माता नो मढ़’ , जो भुज में है, से लगभग 95 किलोमीटर दूर पर स्थित है। कच्छ के गोसर और पोलादिया समुदाय के लोग भी आशापुरा माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं।
माँ आशापुरा मंदिर नाम का रहस्य और महिमा:
माताजी को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन जूनागढ़ के राजा खंगार चुड़ासमा की पटरानी शीतल सोलंकी की पुत्र प्राप्ति की आशा को पूर्ण करने के बाद, माताजी को ‘आशापुरी’ नाम से संबोधित किया जाने लगा। तभी से वे ‘आशापुरा माता’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं। आज भी असंख्य भक्त उनकी शरण में आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

आशापुरा माता मंदिर के आसपास घूमने की जगह
कच्छ का रण : माता नो मढ़ से थोड़ी दूरी पर कच्छ का विशाल रण स्थित है। यह सफेद नमक का रेगिस्तान अपने अद्वितीय परिदृश्य के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ सूर्यास्त का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।
मांडवी बीच: माता नो मढ़ से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर मांडवी बीच स्थित है। यह समुद्र तट अपनी शांति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, और यहाँ कई ऐतिहासिक स्थल भी हैं।
नारायण सरोवर: माता नो मढ़ से लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर नारायण सरोवर स्थित है। यह हिंदू धर्म का एक पवित्र तीर्थस्थल है, और यहाँ कई प्राचीन मंदिर हैं।
कोटेश्वर मंदिर: नारायण सरोवर के पास ही कोटेश्वर मंदिर स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपने शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।
माँ आशापुरा मंदिर कैसे पहुंचें
माता आशापुरा के दर्शन के लिए अजमेर-अहमदाबाद रेल मार्ग पर पड़ने वाले रानी रेल स्टेशन पर उतरकर बस व टैक्सी से नाडोल जाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त आप कच्छ पहुंच कर भी सड़क मार्ग से आशापुरा माता के मंदिर जा सकते हैं।
आप भुज से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते हैं। भुज से माता नो मढ़ के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
निकटतम हवाई अड्डा भुज हवाई अड्डा है। भुज हवाई अड्डा भारत के कुछ प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
माँ आशापुरा मंदिर का धार्मिक महत्व
मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर माँ आशापुरा के भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। माँ आशापुरा मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं, और यह कच्छ के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।
माँ आशापुरा की आराधना
मंदिर में माँ आशापुरा की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है।
भक्त माँ आशापुरा से सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
माँ आशापुरा की मूर्ति करुणा, दया और आशीर्वाद का प्रतीक है।
धार्मिक अनुष्ठान और त्योहार
मंदिर में प्रतिदिन कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें पूजा, आरती और अभिषेक शामिल हैं।
मंदिर में कई त्योहार भी मनाए जाते हैं, जिनमें नवरात्रि और आशापुरा जयंती प्रमुख हैं।
नवरात्रि के अवसर पर, मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, और हजारों भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
आशापुरा माता मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर गुजरात के कच्छ जिले के माता नो मढ़ नामक स्थान पर स्थित है।
आशापुरा माता मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है?
यह मंदिर भुज शहर से लगभग 95 किलोमीटर दूर है, और सड़क, रेल और हवाई मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
आशापुरा माता मंदिर में कौन से प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं?
नवरात्रि और आशापुरा जयंती प्रमुख त्योहार हैं।
क्या आशापुरा माता मंदिर में मनोकामनाएँ पूरी होती हैं?
हाँ, भक्तों की गहरी आस्था है कि माँ उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।
आशापुरा माता मंदिर के आसपास घूमने की जगहें कौन सी हैं?
कच्छ का रण, मांडवी बीच, भुज शहर, नारायण सरोवर और कोटेश्वर मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
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