
Tulsi Vivah 2025 : तिथि शुभ मुहूर्त पूजा विधि और धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व माना जाता है। इसी पावन माह में मनाया जाने वाला तुलसी विवाह भक्तों के जीवन में खुशहाली, सुख और समृद्धि का संदेश लेकर आता है। इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम से कराया जाता है।
यह परंपरा केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं रहती बल्कि यह प्रकृति और ईश्वर के पवित्र मिलन का प्रतीक मानी जाती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि साल 2025 में तुलसी विवाह कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा विधि कैसे की जाती है।
तुलसी विवाह 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार:
| तिथि | समय | 
| कार्तिक शुक्ल द्वादशी आरंभ | 2 नवंबर 2025, सुबह 07:33 बजे | 
| द्वादशी समाप्त | 3 नवंबर 2025, सुबह 02:07 बजे | 
हालांकि 3 नवंबर को उदयातिथि में द्वादशी नहीं है। इसलिए इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर 2025 को ही मनाया जाएगा।
तुलसी विवाह 2025 के शुभ मुहूर्त
| मुहूर्त | समय | 
| ब्रह्म मुहूर्त | 04:59 AM – 05:49 AM | 
| प्रातः सन्ध्या | 05:24 AM – 06:39 AM | 
| अमृत काल | 09:29 AM – 11:00 AM | 
| अभिजित मुहूर्त | 11:59 AM – 12:45 PM | 
| गोधूलि मुहूर्त | 06:04 PM – 06:30 PM | 
इनमें से किसी भी समय पूजा आरंभ करना अत्यंत शुभ माना गया है।
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व
माता तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और शालिग्राम भगवान विष्णु के प्रत्यक्ष रूप हैं। दोनों का विवाह भगवान विष्णु और लक्ष्मी के दिव्य मिलन का प्रतीक होता है।
तुलसी विवाह करवाने से:
- घर में सुख-शांति बढ़ती है
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है
- संतान, धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है
- नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएँ दूर होती हैं
आस्थावान मानते हैं कि तुलसी की सेवा करने वाला व्यक्ति कभी दरिद्र नहीं होता।
Tulsi Vivah 2025 पूजा विधि
तुलसी विवाह की पूजा बहुत सरल और दिव्य होती है। घर में ही यह विधि आसानी से की जा सकती है:
- पूजा स्थल को साफ कर पवित्र करें
- तुलसी के पौधे को हल्दी, सिंदूर, फूल, चुनरी आदि से सजाएं
- शालिग्राम को दूल्हे के रूप में सजाएँ
- दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें
- तुलसी स्तुति और विष्णु मंत्रों का जाप करें
- विवाह संस्कार पूर्ण करें (माला, धागा या हल्दी-कुमकुम से)
- प्रसाद वितरित करें और परिवार के साथ मंगलगीत गाएं
यह विवाह कर्म कर्ता के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
यह पर्व हमें याद दिलाता है कि:
- प्रकृति की पूजा करने से ही जीवन पूर्ण बनता है
- ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए भक्ति और समर्पण ही सबसे बड़ा साधन है
- परिवार के साथ मिलकर किए गए पूजित कर्म प्रेम और एकता बढ़ाते हैं
तुलसी विवाह हमें जीवन में आनंद, संतुलन और कृतज्ञता का पाठ सिखाता है।
तुलसी विवाह केवल एक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह भक्ति और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। साल 2025 में इस शुभ अवसर पर अपने परिवार के साथ तुलसी विवाह सम्पन्न करें और घर में शांति, सुख और सौभाग्य का स्वागत करें।
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FAQs
तुलसी विवाह क्यों किया जाता है?
तुलसी और शालिग्राम का विवाह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के दिव्य मिलन का प्रतीक है। यह घर में सुख-समृद्धि लाता है।
तुलसी विवाह कैसे किया जाता है?
तुलसी माता को दुल्हन और शालिग्राम/भगवान कृष्ण को दूल्हा बनाकर विधि-विधान से पूजा, मंगल गीत और आरती की जाती है।
तुलसी विवाह का महत्व क्या है?
यह विवाह पापों का नाश, सौभाग्य और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने वाला माना जाता है।
क्या घर में तुलसी विवाह कर सकते हैं?
जी हाँ, छोटे स्तर पर घर के मंदिर में पूरी श्रद्धा से तुलसी विवाह किया जा सकता है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।









 
  
  