Author name: Kajal Makwana

नमस्कार दर्शकों मित्रो मेरा नाम Kajal Makwana है, में एक ब्लॉगर और यूट्यूबर हूं, तथा में आध्यात्मिकता (Spirituality) की श्रेणी में कंटेंट लिखती हूं और यूट्यूब पर विडियोज भी बनाती हूं। मुझे सनातन धर्म के बारे में जानना, आध्यात्मिकता को गहराई से समझना और हमारे हिन्दू धर्म के शास्त्रों जैसे रामायण, महाभारत, श्रीमद भगवद गीता, पुराण, तथा वेदों को पढ़ना बहुत पसंद है। मेरा लक्ष्य है कि मेरे लेखों और वीडियो के माध्यम से आपको (दर्शकों) सच्ची आध्यात्मिकता का अनुभव करा सकू, और हम सब के मन में ईश्वर के प्रति प्रेम जागृत हो ऐसा कुछ कर सकू, तथा आध्यात्मिकता बढ़ने से समाज में शायद बुरे कर्म करने वाले कुछ समझे सके! और आने वाली पीढ़ी भी सनातन धर्म को गहराई से समझ सके। Follow me on: YouTube

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 26 27

क्या अर्जुन का युद्ध न करने का विचार धर्म विरुद्ध था? गीता क्या कहती है?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 26 27 तत्रापश्यत्स्थितान् पार्थ: पितृ नथ पितामहान् |आचार्यान्मातुलान्भ्रातृ न्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा || 26||श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि |तान्समीक्ष्य स कौन्तेय: […]

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 24 25

अर्जुन का मोह जागृत करने के पीछे भगवान श्री कृष्ण का क्या उद्देश्य था?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 24 25 सञ्जय उवाच |एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत |सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् || 24 ||भीष्मद्रोणप्रमुखत: सर्वेषां

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 23

अर्जुन ने दुर्योधन को ‘दुर्बुद्धि’ क्यों कहा? भगवद गीता के इस रहस्य को जानें!

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 23 योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागता: |धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षव: || 23 || Shrimad Bhagavad Gita Chapter

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 21 22

भगवद गीता में अर्जुन के युद्ध से पहले के विचार क्या थे?

अर्जुन उवाच |सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत || 21|| यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् |कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे || 22|| Bhagavad Geeta Chapter 1

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 20

हनुमान जी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर क्यों विराजमान थे?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 20 अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वज: |प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डव: ||20||हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते | Bhagavad

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 19

कैसे पांडवों ने अपनी शंख ध्वनि से कौरवों के हृदय चीर दिए?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 19 स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत् |नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलोऽभ्यनुनादयन् || 19 || Bhagavad Geeta

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 17 18

महाभारत युद्ध में शंखनाद का रहस्य और योद्धाओं की भूमिका, अध्याय 1

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 17 18 काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: |धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: || 17 ||द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वश:

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Bhagavad Gita Chapter 15 16

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 15 16 महाभारत के शक्तिशाली शंखों का रहस्य

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 15 16 पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय: |पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदर: || 15 ||अनन्तविजयं राजा

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 14

क्या है अर्जुन के दिव्य रथ और शंख का रहस्य?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 14 तत: श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ |माधव: पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतु: || 14 || अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 13

क्या भीष्म पितामह ने वास्तव में युद्ध की घोषणा के लिए शंख बजाया था?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 13 तत: शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखा: |सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् || 13 || अर्थात भीष्म जी के

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 12

भीष्म के शंखनाद का रहस्य: क्यों गूंज उठी कुरुक्षेत्र की भूमि?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 12 तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्ध: पितामह: |सिंहनादं विनद्योच्चै: शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् || 12 || अर्थात संजय

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 11

महाभारत युद्ध में क्यों जरूरी था भीष्म का रक्षण?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 11 अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिता: |भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्त: सर्व एव हि || 11|| अर्थात दुर्योधन अपनी

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